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माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स को फिलहाल काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है
माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स को फिलहाल काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है. हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में बिल गेट्स ने कोविड-19 वैक्सीन टेक्नोलॉजी को विकासशील देशों को देने से मना कर दिया था. भले ही गेट्स ने सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए कहा कि विकासशील देशों के साथ वैक्सीन पेटेंट साझा करना बहुत महंगा होगा. लेकिन कई रिपोर्ट्स ने महामारी के समय बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के फायदा कमाने वाले पक्ष का भी उजागर किया है.
हाल ही में एक इंटरव्यू में, गेट्स से पूछा गया था कि क्या वो विकासशील देशों के साथ कोविड -19 टीकों पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स शेयर करना चाहते हैं और क्या ये बेहतर होगा. इसके जवाब में उन्होंने सीधे ना कह दिया. 2015 में, गेट्स ने एक टेड टॉक में महामारी को लेकर दुनिया को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगले दशक में एक महामारी आएगी और यह 1918 की महामारी के समान छह महीने में 30 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले लेगी, जिसमें 50 मिलियन से अधिक लोग मारे गए थे.
गेट्स ने आगे कहा था कि, दुनिया को उसी गंभीर तरीके से महामारी के लिए तैयार करने की जरूरत है जिस तरह से वह युद्ध के लिए तैयारी करते हैं. बता दें कि महामारी को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि, गेट्स ने अपने लैब में एक वायरस को पेश किया था जिसको लेकर गेट्स वैक्सीन भी बना रहे थे. यानी की इस वायरस से बचने के लिए गेट्स माइक्रोचिप के रूप में वैक्सीन तैयार कर रहे हैं.
हालांकि गेट्स से जब इस मामले को लेकर पूछा गया तो उन्होंने इसे बेकार बताया और कहा कि, गेट्स के फाउंडेशन को वैक्सीन खरीदने के लिए पैसे मिलते हैं और इसलिए महामारी के खतरों के बारे में बोलना आवश्यक था.
विकासशील देशों को नहीं दे सकते कोविड-19 वैक्सीन टेक्नोलॉजी
उन्होंने अपने बयान में साफ कहा कि, वैक्सीन के फॉर्मूले को विकासशील देशों के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए. इस वजह से विकासशील और गरीब देशों को वैक्सीन के लिए कुछ समय इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन फिर भी उन्हें वैक्सीन का फॉर्मूला नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि, दुनिया में बहुत सारी वैक्सीन फैक्ट्रीज हैं और लोग वैक्सीन्स की सुरक्षा के बारे में बहुत गंभीर हैं. फिर भी दवा का फार्मूला नहीं दिया जाना चाहिए.
भारत और अमेरिका की दो फैक्ट्रियों की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि, अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन फैक्ट्री और भारत की एक फैक्ट्री में अंतर है. किसी भी वैक्सीन को हम अपने विशेषज्ञता और पैसे से बना रहे हैं. यह कोई रेसिपी नहीं है या एक फॉर्मूला है. उन्होंने बताया कि, वैक्सीन के लिए कई सारी चीजों का ध्यान रखना होता है और ट्रायल्स करने पड़ते हैं.
बता दें कि, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने कोविड-19 से लड़ने और एक टीका विकसित करने के लिए 300 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. ऑस्ट्रेलियन फेयर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट नेटवर्क लिमिटेड (AFTINET) की एक रिपोर्ट बताती है कि बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका के बीच साझेदारी में भागीदारी ने टीके को खुले वितरण मॉडल होने से रोक दिया.
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