
कोविड महामारी के बाद बिहार की इकोनॉमी रिकवरी के ट्रैक पर है. इस दौरान बिहार की इकोनॉमी रिकवरी के मुद्दे में शीर्ष 10 राज्यों में तीसरे जगह पर रही. वित्त साल 2021-22 में बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में 15.04% की रेट से वृद्धि हुई है. यह पिछले पांच वर्ष यानी वित्त साल 2017-18 से 2021-22 के बीच सबसे अधिक है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
कितना मिला राजस्व: सीएजी रिपोर्ट के अनुसार बिहार ने पिछले साल 2020-21 की तुलना में साल 2021-22 के दौरान 30,630 करोड़ रुपये (23.90%) की राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि देखी. यह मुख्य रूप से केंद्रीय और राज्य टैक्स की हिस्सेदारी में वृद्धि के कारण है. सीएजी रिपोर्ट में बोला गया है कि हिंदुस्तान की जीडीपी पिछले साल की तुलना में 2020-21 में (-)1.36 फीसदी दर्ज की गई थी. इस नकारात्मक प्रवृत्ति की तुलना में 2020-21 (महामारी वर्ष) में बिहार की GSDP की वृद्धि रेट 0.80 फीसदी दर्ज की गई. वहीं, वित्त साल 2021-22 के दौरान GSDP वृद्धि रेट 15.05% दर्ज की गई, जो 2017-18 से 2021-2 तक पिछले पांच सालों के दौरान सबसे अधिक है.
वहीं, सीएजी रिपोर्ट में बोला गया है कि वित्त साल 2021-22 में बिहार का राजकोषीय घाटा BFRBM (बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन) के संशोधित लक्ष्य के भीतर था. सीएजी ने बकाया बिल समेत कुछ मोर्चों पर राज्य गवर्नमेंट को फिर से चेतावनी दी है.
केंद्रीय लेखा परीक्षक ने यह भी बताया है कि वित्तीय साल 21-22 के मार्च 2022 में 572 करोड़ रुपये की राशि के 954 एसी बिल निकाले गए थे, जो दर्शाता है कि निकासी मुख्य रूप से बजट प्रावधानों को खत्म करने के लिए की गई थी और यह अपर्याप्त बजटीय नियंत्रण का पता चला था.
पर्सनल डिपॉजिट में कितनी रकम: कैग ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि मार्च के अंत में पर्सनल जमा (पर्सनल डिपॉजिट) खातों में 4,041 करोड़ रुपये की राशि जमा थी. बहरहाल, सीएजी रिपोर्ट में बोला गया है कि 2021-22 में राजस्व व्यय पिछले सालों की तुलना में 19727 करोड़ रुपये (14.14% ) बढ़ गया है.
