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बिजली उपभोक्ताओं को लेकर बड़ी राहत, 31 जनवरी तक बढ़ाई गई इस योजना की तारीख

Rani Sahu
31 Dec 2021 6:54 PM GMT
बिजली उपभोक्ताओं को लेकर बड़ी राहत, 31 जनवरी तक बढ़ाई गई इस योजना की तारीख
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छोटे घरेलू, वाणिज्यिक और किसान बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) की तिथि अब 31 जनवरी 2022 तक बढ़ा दी गई है

छोटे घरेलू, वाणिज्यिक और किसान बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) की तिथि अब 31 जनवरी 2022 तक बढ़ा दी गई है। यह योजना शुक्रवार 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। ओटीएस की तिथि बढ़ाने की जानकारी ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दी है। योजना के तहत एलएमवी-एक, एलएमबी-दो तथा एलएमवी-पांच के उपभोक्ताओं को बकाए बिजली बिल पर सरचार्ज में 100 फीसदी की छूट दी जा रही है। दो किलोवाट तक के घरेलू विद्युत पंखा (एलएमवी-एक) के उपभोक्ताओं को बकाया राशि छह किश्तों में जमा करने का विकल्प भी दिया गया है। घरेलू बत्ती-पंखा के दो किलोवाट से अधिक भार वाले उपभोक्ता तथा वाणिज्यिक के दो किलोवाट से अधिक पांच किलोवाट तक के उपभोक्ताओं को सरचार्ज राशि में 50 फीसदी छूट दिया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री ने पावर कारपोरेशन के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि योजना का लाभ तय श्रेणी के सभी बकायेदार बिजली उपभोक्ताओं को मिले इसके प्रयास करें। योजना की प्रतिदिन समीक्षा भी की जाए।

सस्ती बिजली देने का वादा घोषणा पत्र में शामिल करें राजनीतिक दल
उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सभी राजनीतिक दलों से मांग की है कि वह अपने घोषणापत्र में सस्ती व निर्बाध बिजली देने का मुद्दा शामिल करें। प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिले इसके लिए बिजली कंपनियों पर निकल रहे उपभोक्ताओं के 20596 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरें सस्ती करने का वादा करें। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में शामिल कराने के लिए परिषद का प्रतिनिधिमंडल सभी राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात भी करेगा।
बिजली कंपनियों पर निक रहे उपभोक्ताओं के 20596 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरें कम करने की उपभोक्ता परिषद की याचिका नियामक आयोग में दाखिल है। आयोग द्वारा इस मामले में रिपोर्ट मांगें जाने पर भी अभी तक पावर कारपोरेशन ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष में रहते हुए सभी दल सस्ती बिजली की बातें करते हैं। सत्ता में आने के बाद सस्ती बिजली के मुद्दे पर सोचना तक बंद कर देते हैं। राज्य का उपभोक्ता इस बार सस्ती बिजली का वादा राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में देखना चाहता है।
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