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बड़ी योजना: चीन अब बना रहा भावी इंटरनेट का नेटवर्क, सालों तक टेक्नोलॉजी पर कर सकते है कब्जा

Deepa Sahu
21 April 2021 3:31 PM GMT
बड़ी योजना:  चीन अब बना रहा भावी इंटरनेट का नेटवर्क, सालों तक टेक्नोलॉजी पर कर सकते है कब्जा
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चीन ने भावी इंटरनेट टेक्नलॉजी के प्रयोग की एक बड़ी योजना शुरू की है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चीन ने भावी इंटरनेट टेक्नलॉजी के प्रयोग की एक बड़ी योजना शुरू की है। इसकी शुरुआत मंगलवार को बीजिंग में की गई। जानकारों के मुताबिक चीन जिस तकनीक का प्रयोग कर रहा है, अगले दस साल तक उसकी ही मांग रहेगी। इस टेक्नोलॉजी परियोजना पर अमल के लिए शिंघुआ यूनिवर्सिटी में मुख्यालय बनाया गया है। इसे 'भावी इंटरनेट टेक्नोलॉजी इऩ्फ्रास्ट्रक्चर' नाम दिया गया है। इस परियोजना के तहत देश के 40 विश्वविद्यालयों को विशाल बैंडविड्थ वाले ऐसे इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिसमें यूजर के एक्शन और वेब एप्लीकेशन के रिस्पॉन्स के बीच का विलंब बेहद घट जाएगा।

चीन की योजना चीन के सबसे बड़े शहरों को नेटवर्क आविष्कार के एक एनवायरमेंट (चाइना एनवायरमेंट फॉर नेटवर्क इनोवेशन्स- सीईएनआई) से जोड़ने की है। विश्वविद्यालयों के बीच बनाया जा रहा नेटवर्क इस प्रस्तावित नेटवर्क के बैकबोन (यानी रीढ़) का काम करेगा। सीईएनआई 2023 में बन कर तैयार होगा। जानकारों का कहना है कि फ्यूचर इंटरनेट का ऐसा प्रतिरूप होगा, जिससे कंप्यूटर से लेकर कार तक लगभग सब कुछ जुड़े होंगे। इसका संचालन आर्टिफिशियल इंटलिजेंस (आईए) के जरिए होगा। बताया जाता है कि यह एक निर्बाध संचार का नेटवर्क बनेगा।
शिंघुआ यूनिवर्सिटी में इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक वैज्ञानिक ने हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- 'इस प्रोजेक्ट में कई सुरक्षा इंतजाम करने होंगे। भविष्य के इंटरनेट को हमलों से पूरी तरह सुरक्षित रहना होगा। इसका संबंध हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से है।' गौरतलब है कि चीन में इंटरनेट का शुरुआती ढांचा पश्चिमी तकनीक से तैयार हुआ था। इस कारण उसकी सुरक्षा के लिए चुनौतियां बनी रहीं। अमेरिका सरकार के प्रिज्म प्रोजेक्ट के तहत इन कमजोरियों का लाभ उठाया गया। अमेरिका ने उसके जरिए चीन सरकार और उसके अनुसंधान संस्थानों में पैठ कर ली। इस बात का खुलासा अमेरिकी ह्विसल्ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने किया था।
उस खुलासे के बाद चीन ने पश्चिमी हार्डवेयर बदलने की विशाल परियोजना शुरू की थी। ये काम तेजी से आगे बढ़ा। उसी का नजीता है कि हाल के वर्षों में चीन की हुवावे जैसी दूरसंचार कंपनियों ने 5जी तकनीक और कई अन्य तकनीकों के मामले में पश्चिमी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। लेकिन अभी भी कई सॉफ्टवेयर और प्रोटोकॉल्स के मामले में पश्चिमी देशों का प्रभाव चीन के नेटवर्कों पर कायम है। अब चीन उससे भी मुक्ति पाना चाहता है।
अमेरिका ने भी कई प्रायोगिक नेटवर्कों की शुरुआत की है। उनमें ग्लोबल एनवायरमेंट फॉर नेटवर्क इनोवेशन्स (जीईएनआई) भी शामिल है। अमेरिका मकसद इंटरनेट तकनीक के मामले में अपनी बढ़त कायम रखना है। यूरोपियन यूनियन, जापान और दक्षिण कोरिया ने भी ऐसी परियोजनाएं अपने यहां शुरू की हैं। अमेरिकी जीईएनआआई के जवाब में चीन ने 2019 में सीईएनआई परियोजना की शुरुआत की थी। इसके तहत चीन एक बिल्कुल नए ऑपरेटिंग सिस्टम को तैयार करने की कोशिश कर रहा है, जिससे डाटा प्रवाह और उपकरणों के बीच संवाद का प्रबंधन किया जाएगा। सीईएनआई से जुड़े वैज्ञानिक तान हांग के मुताबिक इन सारे कार्यों में चीन के अंदर बने कंप्यूटर, राउटर, सर्व और कंप्यूटर चिप्स का इस्तेमाल होगा। चीन ने इस परियोजना के लिए 26 करोड़ डॉलर का बजट रखा है।
गौरतलब है कि चीन पहले ही दुनिया का सबसे बड़ा 5जी नेटवर्क बनाने का काम शुरू कर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में ही कई बिल्कुल नए प्रकार के उपकरण सामने आएंगे। इनमें इंटरनेट से जुड़ी खुद चलने वाली कारें भी हैं। ऐसे सभी उपकरणों की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि विशाल मात्रा में बिना किसी पल की देर के डेटा का प्रवाह किस हद तक संभव होता है। चीन ने अब उसी दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।
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