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टाटा और बिड़ला कंपनी को बड़ा झटका, आरबीआई ने लिया ये फैसला

Nilmani Pal
26 Nov 2021 2:22 PM GMT
टाटा और बिड़ला कंपनी को बड़ा झटका, आरबीआई ने लिया ये फैसला
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टाटा और बिड़ला (Tata&Birla) जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने फिलहाल बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) में नहीं उतर पाएंगे. इससे संबंधित सुझाव को रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने अभी मंजूरी नहीं दी है. हालांकि अभी इस सुझाव को केंद्रीय बैंक ने खारिज भी नहीं किया है. रिजर्व बैंक के एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप (IWG) ने 33 सुझाव दिए थे, जिनमें कमर्शियल बैंकिंग (Commercial Banking) में कॉरपोरेट घरानों की एंट्री का सुझाव भी था. इस सुझाव के सामने आने के बाद कई नेताओं और पूर्व सेंट्रल बैंकर्स (Former Central Bankers) ने इसकी आलोचना की थी. रिजर्व बैंक ने एक बयान में शुक्रवार को बताया कि उसने IWG के 33 में से 21 सुझावों को स्वीकार किया है. इनमें से कुछ सुझावों को बदलाव के साथ स्वीकार किया गया है. शेष 12 सुझावों पर अभी केंद्रीय बैंक और विचार करने वाला है.

टाटा और बिड़ला जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने पहले से ही नॉन-बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर (NBFC) में मौजूद हैं. दोनों समूहों के पास एनबीएफसी सेक्टर में अहम हिस्सेदारियां हैं. ऐसा माना जा रहा था कि कमर्शियल बैंकिंग में कॉरपोरेट की एंट्री को मंजूरी मिलने से इन दोनों समूहों को लाभ होगा. हालांकि रिजर्व बैंक ने बड़े एनबीएफसी के लिए बैंकों की तरह कड़े नियम लाने की बात कह इन कॉरपोरेट घरानों को अच्छी खबर के बजाय झटका दे दिया है.

रिजर्व बैंक ने पेमेंट बैंक (Payment Bank) को तीन साल में स्मॉल फाइनेंस बैंक (Small Finance Bank) में बदलने की सुविधा देने वाले सुझाव को भी मंजूरी नहीं दी है. इस निर्णय का प्रभाव पेटीएम (Paytm) के ऊपर पड़ सकता है. पेटीएम अभी पेमेंट बैंक सेक्टर में मौजूद है. केंद्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों में प्रमोटर्स (Promoters) की हिस्सेदारी अभी की 15 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी किए जाने के सुझाव को मंजूर कर दिया है. प्रमोटर्स 15 साल की लंबी अवधि में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेंगे.

शुरूआती पांच साल के दौरान प्रमोटर्स की हिस्सेदारी पर कोई लिमिट नहीं लगाने के सुझाव को भी मंजूर कर लिया गया है. नॉन-प्रमोटर शेयरहोल्डिंग (Non-Promoter Shareholding) के लिए लिमिट में बदलाव के सुझाव को भी स्वीकार किया गया है. अब यह लिमिट नॉन-फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स (Non-Financial Institutions) के लिए 10 फीसदी और फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स (Financial Institutions) तथा गवर्नमेंट इंटिटीज (Govt Entities) के लिए 15 फीसदी करने का सुझाव था. अभी तक सभी संस्थानों के लिए 10 फीसदी का एक समान कैप था.

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