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त्योहारों से पहले महंगी होने लगी, एक ही दिन में 20 फीसदी हुई दाले, जानिए क्यों

Neha Dani
16 Oct 2020 5:17 AM GMT
त्योहारों से पहले महंगी होने लगी, एक ही दिन में 20 फीसदी हुई दाले, जानिए क्यों
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कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही है.

कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही है. पहले सब्जियां (Vegetables) और अब दालें (Dal/Price Price Rises) महंगी होने लगी है. सरकार ने तूर दाल को विदेशों से खरीदने की मंजूरी दे दी है. लेकिन इस फैसले के बाद एक ही दिन में दाल की कीमतें 20 फीसदी तक बढ़ गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार (Government of India) की ओर से मिली आयात की मंजूरी के बाद म्यांमार में इसकी कीमतों में तेज उछाल आया है. सिर्फ एक दिन में वहां इसकी कीमत 20 फीसदी से ज्यादा उछल गई है. खुदरा तुअर दाल की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई हैं. अच्छी क्वालिटी की दाल 125 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई. कारोबारियों का कहना हैं कि दिवाली के 15 दिनों के दौरान, मिलिंग गतिविधियां कम होती हैं, जिससे कच्चे माल की मांग कम हो जाती है.

अचनाक क्यों बढ़ी कीमतें- अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर में बताया गया है कि इसकी वजह यह है कि आयातकों को तूर दाल के आयात के लिए बहुत कम समय दिया गया है. उन्हें सिर्फ 32 दिन के अंदर इसका आयात कर लेना है.

व्यापारियों और दलहनों के प्रोसेसर्स का कहना है कि सरकार जब तक स्टॉक में रखी गई दालों की बिक्री नहीं बढ़ाती है. घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में तेजी जारी रहेगी. इसकी वजह यह है कि इसकी सप्लाई कम है.

13 अक्टूबर को केंद्र ने 15 नवंबर तक तुअर की सीमित मात्रा के आयात की अनुमति दी है, जबकि उसने उड़द के आयात की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया है. उड़द आयात की अंतिम तिथि 31 अगस्त को समाप्त हो गई थी.

तुअर आयात करने के भारत के फैसले से म्यांमार में कीमतों में वृद्धि हुई है. वहां भाव $650/टन से बढ़कर $800/टन हो गए हैं. स्थानीय स्तर पर, देश में अरहर दाल प्रसंस्करण का एक प्रमुख केंद्र अकोला में थोक मूल्य 125 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 105 रुपये किलोग्राम पर आ गया है.

भारत एक समझौते के तहत मोजाम्बिक से तुअर का आयात कर रहा है. यह देखते हुए कि देश में अरहर की बंपर पैदावार होने की संभावना है, सरकार इसके आयात की अनुमति देने से हिचक रही थी. इसलिए, अप्रैल में दाल मिलर्स को आवंटित कोटा आयात करने के लाइसेंस अब तक जारी नहीं किए गए थे.

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