भारत सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल को भारत में तेजी से बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, इसी प्रयास में बजट 2022-23 में वित्त मंत्री ने बैटरी स्वापिंग नीति को जल्द लॉन्च करने की बात कही थी। इस बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी को नीति आयोग अगले 4 महीने में शुरू करेगी।
जानिए क्या होता है बैटरी स्वैपिंग
बजट में वित्त मंत्री ने ईवी सेक्टर के लिए बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लागू करने की बात कही हैं। बैटरी स्वैपिंग एक ऐसी विधि है, जिसमें समाप्त बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है। बैटरी की अदला-बदली चिंता, कम वाहन लागत और कुशल चार्जिंग व्यवस्था के लिए एक संभावित समाधान है। यह नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से बचाता है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स के जेब पर अधिक भार नहीं जाता है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बैटरी स्वाइपिंग नीति के बारे में बात करते हुए कहा कि शुरू में इस का मेन फोकस हल्के इलेक्ट्रिक वाहनों की आवश्यकताओं को पूरा करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि ईवी से बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों तक बैटरी को प्लग और चार्ज करना आसान हो। हमारे पास सन मोबिलिटी (और) बैटरी स्मार्ट जैसे स्टार्टअप से लेकर अन्य लोग हैं, जो इसकी टेस्टिंग पर काम कर रहे हैं। इन कंपनियों ने तकनीकी रूप से इलेक्ट्रिक टू और थ्री-व्हीलर्स के लिए बैटरी स्वैपिंग की व्यवहार्यता का प्रदर्शन किया है।
बैट्री स्वैपिंग सेंटर खुलने से फायदे
बैट्री को एक सेवा कारोबार का रूप देने से बैट्री से चलने वाले दोपहिया व तिपहिया वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी और इसका चलन बढ़ेगा। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत में 40-50 फीसद हिस्सेदारी बैट्री की होती है। बैट्री स्वैपिंग कारोबार के विकसित होने पर इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदार बिना बैट्री के स्कूटर खरीद सकेगा और बैट्री स्वैपिंग सेंटर पर जाकर मामूली कीमत देकर किराए पर बैट्री लेकर स्कूटर या अन्य इलेक्ट्रिक वाहन चला सकेगा।