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पांच जिंसों में एक साल तक वायदा कारोबार पर रोक, सेबी ने दिए आदेश

Kunti Dhruw
21 Dec 2021 2:28 AM GMT
पांच जिंसों में एक साल तक वायदा कारोबार पर रोक, सेबी ने दिए आदेश
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खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है।

खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बताया कि पाम, मूंग, गेहू सहित पांच कमोडिटी के वायदा कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2003 में इन खाद्य उत्पादों में वायदा कारोबार शुरू किए जाने के बाद पहली बार इस पर रोक लगाई है।

इसका मकसद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाना है। आदेश के तहत धान (गैर बासमती), गेहूं, सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल व मूंग का वायदा कारोबार एक साल तक प्रतिबंधित रहेगा। नए फैसले के बाद वायदा कारोबार से बाहर रहने वाले कुल नौ उत्पाद हो जाएंगे। साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कारोबार प्रतिबंधित रहेगा।
फैसले के तीन बड़े असर
20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक।
मौजूदा सौदे को ही खत्म करने की इजाजत।
अगले आदेश तक नए अनुबंध नहीं होंगे।
कम हो सकती है खाद्य महंगाई दर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, घरेलू जिंसों के व्यापार में कमी और आयात बढ़ने के बाद आने वाले समय में खाद्य महंगाई नीचे आ सकती है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91% व थोक महंगाई 14.23% पहुंच गई थी।
इसलिए प्रतिबंध की जरूरत
खाद्य तेल व्यापार महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि बड़े सटोरिए वायदा कारोबार के जरिये जरूरी कमोडिटीज पर नियंत्रण बनाते हैं। बढ़ती खाद्य महंगाई से इनके वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की थी।
कारोबारियों की राय
प्रतिबंध लगाना सरकार का पिछड़ा हुआ कदम है। इससे एग्री कमोडिटी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बाजार भागीदारों का भरोसा भी कम होगा। -केवी सिंह उपाध्यक्ष, ओरिगो कमोडिटीज
सेबी की रोक के बाद कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन, पाम, सरसों में कारोबार नहीं होगा और ये जिंस बाजार में आएंगी। इससे तिलहन सस्ता होगा। -अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष भारतीय खाद्य तेल संगठन
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