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जहां एक ओर कोरोना महामारी के कारण ऑटो सेक्टर को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा
जहां एक ओर कोरोना महामारी के कारण ऑटो सेक्टर को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि अब इस इंडस्ट्री में काफी सुधार होता हुआ दिख रहा है. इसी कड़ी में सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने वित्तवर्ष 2020-21 की प्रोडक्शन रिपोर्ट पेश कर दी है जिसमें पता चला है कि कंपनियों ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान 2,26,52,108 वाहनों का प्रोडक्शन किया है.
अगर पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो वित्तवर्ष 2019-20 ( अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के दौरान) में भारत में 2,63,53,293 वाहनों का प्रोडक्शन किया गया था. ऐसे में वित्तवर्ष-20 के मुकाबले वित्तवर्ष-21 में वाहनों के प्रोडक्शन में 14 फीसदी की गिरावट आई है. तैयार किए गए इन वाहनों लिस्ट में पैसेंजर व्हीकल, कॉमर्शियल व्हीकल, तीन पहिया वाहनों, दोपहिया वाहनों और क्वाड्रिसाइकिल को शामिल हैं.
कौन से सेगमेंट में कितनी गाड़िया हुईं तैयार
– सबसे पहले बात करते हैं पैसेंजर व्हीकल्स की मार्च 2021 में पैसेंजर वाहनों का प्रोडक्शन 27,11,457 यूनिट्स रहा जबकि 2020 में यह 27,73,519 यूनिट्स रहा था. इस हिसाब से इसके प्रोडक्शन में कुल 2.24 की गिरावट दर्ज की गई.
– 2021 में दोपहिया वाहनों का प्रोडक्शन 1,51,19,387 यूनिट्स रहा जबकि 2020 में यह 1,74,16,432 यूनिट्स था. इसके हिसाब से प्रोडक्शन में कुल 13.19 प्रतिशत की गिरावट आई.
– तीनपहिया वाहनों की अगर बात करें तो 2021 में इसके प्रोडक्शन में कुल 66.06 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और कुल 2,16,197 यूनिट्स का प्रोडक्शन हुआ. वहीं 2020 में 6,37,065 यूनिट्स का प्रोडक्शन हुआ.
– इसके अलावा अगर कमर्शियल वाहनों की बात करें तो 2021 में 5,68,559 यूनिट्स का प्रोडक्शन किया गया. वहीं 2020 में 7,17,593 यूनिट्स का प्रोडक्शन किया गया. इसके हिसाब से 20.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
अगर वित्तवर्ष 2021 के प्रोडक्शन में आई कमी के कारण की बात करें तो इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है जिससे प्रोडक्शन और विक्री दोनों पर बुरा असर पड़ा है.
कम प्रोडक्शन ने बढ़ाई चिंता
2020 की तुलना में 2021 में प्रोडक्शन में आई गिरावट ने चिंता बढा दी है क्योंकि इसका सीधा असर भारत की इकोनॉमी पर पड़ता है. कम वाहनों का प्रोडक्शन होने का मतलब है कि वाहनों की खरीदारी कम हो रही है. ऐसे में इसका सीधा असर इस सेक्टर में काम करने वाले लोगों के रोजगार पर पड़ सकता है. ऐसा भी हो सकात है कि उनकी नौकरियां भी चली जाएं और ऐसे में इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है.
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