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कोरोना महामारी की वजह से ऑटो इंडस्ट्री को फिर हुआ नुकसान, पिछले महीने काफी कम रही वाहनों की सेल

Gulabi
10 Jun 2021 4:17 PM GMT
कोरोना महामारी की वजह से ऑटो इंडस्ट्री को फिर हुआ नुकसान, पिछले महीने काफी कम रही वाहनों की सेल
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ऑटो इंडस्ट्री

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने मई 2021 के लिए मंथली न्यू व्हीकल रजिस्ट्रेशन का डेटा जारी किया है. पिछले महीने इंडस्ट्री ने सामूहिक रूप से 5,35,855 रजिस्ट्रेशन दर्ज किए, जो महीने-दर-महीने (MoM) की तुलना में 55 प्रतिशत की गिरावट है. अप्रैल 2021 में 11,85,374 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ था. यह कोरोनावायरस की दूसरी लहर का नतीजा है, जिसके कारण भारत के अधिकांश राज्यों को लगभग टोटल लॉकडाउन के तहत जाना पड़ा, जिससे रिटेल बिक्री पर भारी प्रभाव पड़ा.

अब, मई 2020 की तुलना में साल-दर-साल (YoY) करना आदर्श नहीं होगा क्योंकि भारत में पिछले साल मई के महीने में देशव्यापी लॉकडाउन का सामना कर रहा था. फिर भी जानकारी के तौर पर बता दें कि मई 2020 में कुल नए वाहन रजिस्टर 2,02,697 थे. मई 2019 में, इंडस्ट्री ने 18,22,566 नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन दर्ज किए थे.
मई 2021 के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए, FADA के अध्यक्ष, विंकेश गुलाटी ने कहा, "कोविड की दूसरी लहर ने पूरे देश को तबाह कर दिया है क्योंकि एक भी घर ऐसा नहीं हो सकता है जो प्रभावित नहीं हुआ हो. शहरी बाजारों के अलावा, इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे. अधिकांश राज्यों में जारी लॉकडाउन देखा जा सकता है. आश्चर्य की बात नहीं है कि मई महीने के लिए ऑटो रिटेल में नुकसान देखा गया क्योंकि MoM के आधार पर बिक्री में 55 प्रतिशत की गिरावट आई. इसी तरह, सभी श्रेणियों के वाहनों में टू-व्हीलर में 53 फीसदी, 3-व्हीलर में 76 फीसदी, पीवी में 59 फीसदी, ट्रैक्टर्स में 57 फीसदी और कमर्शियल व्हीकल में क्रमश: 66 फीसदी की गिरावट आई है.
वर्तमान बाजार की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी के पार्टनर श्रीधर वी ने कहा, "वाहन रजिस्ट्रेशन में गिरावट मुख्य रूप से लॉकडाउन और पूरे भारत में मांग के निगेटिव प्रभाव के कारण है, इस बार ग्रामीण और शहरी दोनों लोग शामिल हैं. जबकि कुछ राज्य फेजवाइस तरीके से खुल रहे हैं. जून की शुरुआत में, बाजार में महत्वपूर्ण सुधार या Q2 में मुख्य रूप से जुलाई 2021 के शुरुआती चरणों के दौरान खुलने वाले सभी बाजारों पर आधारित होने की उम्मीद है. इंडस्ट्री को इनपुट सामग्री की कमी की चुनौती भी झेलनी होगी क्योंकि सेमीकंडक्टर और रबर के संदर्भ में बहुत कुछ कहा जाता है."
FADA का कहना है कि चूंकि वर्तमान लॉकडाउन 30-45 दिनों से अधिक समय तक चला है और दक्षिण भारत में अभी भी जारी है, अधिकांश डीलरों के लिए रेवेन्यू ना के बराबर है क्योंकि बिक्री न्यूनतम थी. इसके कारण डीलर अपने लोन की किश्त का भुगतान नहीं कर पाएंगे जो कि बकाया है.
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