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विदेशी उड़ानों के आगमन को मंजूरी देने पर चीन के सख्त रवैये और जापान के सतर्क रुख की वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र से इस साल यानी 2022 में दुनिया के सबसे बड़े हवाई यात्री बाजार का तमगा छिन सकता है। एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल एशिया पैसिफिक की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में यह आशंका जाहिर की गई है। इसके मुताबिक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वर्ष 2019 में 3.38 अरब लोगों ने हवाई यात्राएं की थीं लेकिन 2021 में यह संख्या आधे से भी कम होकर 1.50 अरब रह गई।
इसके साथ ही हवाई यात्रियों की वैश्विक संख्या में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी 37 प्रतिशत से घटकर 33 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में कोविड महामारी से जुड़ी विमानन बंदिशों की वजह से हवाई यात्रा का परिदृश्य बहुत खराब रहा था। हांगकांग स्थित एसीआई एशिया पैसिफिक संगठन एशिया-प्रशांत और पश्चिम एशियाई क्षेत्र के हवाईअड्डा परिचालकों का प्रतिनिधित्व करता है। इस क्षेत्र के 49 देशों में ये परिचालक 618 हवाईअड्डों का संचालन कर रहे हैं।
हालांकि, इस रिपोर्ट में जताए गए अनुमान पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि चीन और जापान के 'अड़ियल' रवैये की वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हवाई यात्रियों की संख्या 2022 में घट सकती है। यह इस क्षेत्र के लिए एक नुकसान होगा जो कई वर्षों से नागर विमानन के क्षेत्र में पहले स्थान पर रहता रहा है। इस मामले में यूरोपीय क्षेत्र के पहले स्थान पर रहने का अनुमान है।
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