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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर अमेरिका ने भले भारत पर रूस का विरोध करने के लिए वैश्विक दबाव बनाने की कोशिश की हो, लेकिन इस मामले में भारत ने अपने रुख को 'इंडिया फर्स्ट' (India First) पर केंद्रित रखा. ऐसे में अमेरिका के मुंह से भारत की तारीफ थोड़ी हैरान जरूर करती है, लेकिन हकीकत में ऐसा हुआ है. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को वहां की संसद में एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें भारत की तारीफ के कसीदे गढ़े गए हैं.
इस रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात Indian Economy को लेकर कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की तीन लहरों को झेलने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है. शुक्रवार को जारी अपनी इस अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर ने 2021 के मध्य तक आर्थिक वृद्धि पर बहुत ज्यादा असर डाला था जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में देरी हुई.
रिपोर्ट में मोदी सरकार के कोविड-19 टीकाकरण प्रयासों की प्रशंसा भी की गई है. इस बारे में मंत्रालय ने कहा कि साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों ने जोरदार वापसी की और भारत के वैक्सीनेशन कार्यक्रम में तेजी आई. साल 2021 के अंत तक भारत की विशाल जनसंख्या में करीब 44% वैक्सीनेशन पूरा हो चुका था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में भारत की विकास दर सात प्रतिशत थी. 2021 की दूसरी तिमाही में विकास दर महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई और 2021 में पूरे साल विकास दर आठ प्रतिशत रही. साल 2022 की शुरुआत में कोरोनावायरस के ओमीक्रोन वैरिएंट के चलते इंडिया को तीसरी लहर का सामना करना पड़ा था लेकिन इस दौरान मृतकों की संख्या सीमित रही और आर्थिक गिरावट भी ज्यादा नहीं हुई.
इस दौरान अमेरिका में महंगाई अपने 40 साल की ऊंचाई पर बनी हुई है. ये रिकॉर्ड 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. महंगाई में ये बढ़ोतरी गैस, खानपान और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में उछाल आने से हुई है. अमेरिकी श्रम विभाग ने शु्क्रवार को इसे लेकर कुछ आंकड़े पेश किए. इसके हिसाब से मई 2022 में कंज्यूमर प्रोडक्ट की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं. जबकि इससे एक महीने पहले अप्रैल में ये कीमतें पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 8.3 प्रतिशत बढ़ी थीं.
अमेरिका में मार्च 2022 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित महंगाई 1982 के बाद पहली बार 8.5 प्रतिशत पर पहुंची थी. इस बढ़ी हुई महंगाई ने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को भी ब्याज दर बढ़ाने पर मजबूर किया है. वहीं भारत ने 2021 में अर्थव्यवस्था को महामारी से बचाने के लिए वित्तीय सहायता देना जारी रखा. भारतीय रिजर्व बैंक ने मई 2020 से अपनी नीतिगत दरों को 4% पर बरकरार रखा, अब जब महंगाई थोड़ी बढ़ी है तो तत्काल ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला किया गया है.
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