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भारत से व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पछाड़ा

jantaserishta.com
29 May 2022 7:42 AM GMT
भारत से व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पछाड़ा
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नई दिल्ली: भारत (India) और अमेरिका (America) की दोस्ती नई कहानी लिख रही है. अमेरिका अब चीन के मुकाबले भारत को तरजीह दे रहा है. खासकर आर्थिक मोर्चे (Economy) पर दोनों देश एक-दूसरे का मजबूत भागीदार बन रहा है. पिछले वित्त वर्ष में अमेरिका का चीन से ज्यादा भारत के साथ व्यापार (Business) हुआ है. एक तरह से ये सबूत है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते और प्रगाढ़ हुए हैं.

दरअसल, अमेरिका बीते वित्त वर्ष (2021-22) में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार (Business Partner) बन गया है. इससे दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों का पता चलता है. यही नहीं, भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन (China) को भी पीछ़े छोड़ दिया है.
वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्वपिक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जो 2020-21 में 80.51 अरब डॉलर का था.
आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात (India Export America) बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था. वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था.
आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष (2021-22) में भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर का रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर का था. वित्त वर्ष के दौरान चीन को भारत का निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था.
वहीं इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था. वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था.
व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी.
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं. वैश्विक कंपनियां अपने कारोबार का भारत और अन्य देशों में विविधीकरण कर रही हैं.
उन्होंने कहा, 'आगामी बरसों में भारत-अमेरिका द्वपिक्षीय व्यापार और बढ़ेगा. भारत, अमेरिका की हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (IPEF) पहल में शामिल हुआ है. इससे आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी.'
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (IIPM), बेंगलुरु के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते अमेरिका और भारत की कंपनियों के पास टेक्नोलॉजी लेनदेन, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के काफी अवसर हैं.
उन्होंने बताया कि अमेरिका को भारत से मुख्यत: पेट्रोलियम उत्पादों, पालिश हीरों, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल आदि का निर्यात किया जाता है. वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है.
अमेरिका उन कुछ देशों में है, जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है. अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 32.8 अरब डॉलर का है. 2013-14 से 2107-18 तक और उसके बाद 2020-21 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था.
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