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किसान का कमाल, शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब सालाना इनकम है 25 लाख रुपये

Gulabi
16 Nov 2021 10:58 AM GMT
किसान का कमाल, शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब सालाना इनकम है 25 लाख रुपये
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किसान ने शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती
Strawberry Farming- देश में भौगोलिक स्थिति के अनुसार फसल उत्पादन कृषि व्यवसाय की परंपरा है.लेकिन समय के साथ यह बदलने की संभावना है.मावल गांव में केवल गन्ना और धान की खेती की जाती थी लेकिन इस क्षेत्र में किसानों ने दिखाया है कि अब स्ट्रॉबेरी भी उगाई जा सकती है. इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस स्ट्रॉबेरी की मांग भी बढ़ रही है.महाराष्ट्र में स्ट्रॉबेरी सबसे ज्यादा महाबलेश्वर में उत्पादन होता हैं.ठंडी में लोग महाबलेश्वर जाकर लाल और नारंगी स्ट्रॉबेरी का स्वाद चखते थे. लेकिन अब मावल के किसानों ने दिखा दिया है कि मावल में भी यह संभव है.
पुणे के मावल गांव के रहने वाले किसान प्रदीप धमनकर ने ये कर दिखाया है. अगर कृषि में अलग-अलग प्रयोग किए जाएं तो वे सफल जरूर होते हैं. उन्होंने बड़ी संख्या में स्ट्रॉबेरी नहीं सिर्फ 30 गुंटा लगाए थे.जिससे वो अब 25 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.उन्होंने इस फसल को उचित योजना और कड़ी मेहनत के साथ लगाया था.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डेढ़ हजार प्रति किलो की दर
मावल तालुका ठंडी हवा के स्थान के रूप में जाना जाता है मावल चावल डिपो के रूप में भी प्रसिद्ध है.धान की खेती के लिए मशहूर मावल तालुका में भी स्ट्रॉबेरी की फसल उगने लगी हैं. महाबलेश्वर में उगने वाली 'विंटर डाउन' स्ट्रॉबेरी किस्म अब मावला में भी दिखने लगी है.मावल के रहने वाले किसान प्रदीप धमनकर ने महाबलेश्वर से इस किस्म के बीज लाकर लगाए थे. जिसे उनोन्हे 30 गुंटा में पंद्रह हजार पेड़ लगाए थे. और अब स्ट्रॉबेरी की कटाई की की जा रही है.खास बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस स्ट्रॉबेरी की काफी मांग है.ये स्ट्रॉबेरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1000 रुपये से 1500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती हैं.मावला स्ट्रॉबेरी मुख्य रूप से दुबई, मस्कट और सिंगापुर में भेजे जाते हैं.
कम से कम 25 लाख का मुनाफा
किसान ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती में उन्हें महज 5 लाख रुपये का खर्च आया हैं. तो वही अब जब स्ट्रॉबेरी तैयार हो गई है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेची जा रही है जिससे उन्हें कम से कम 25 लाख रुपये मुनाफा हो रहा रहा हैं आगे और ज्यादा मुनाफा होने की उम्मीद है.30 गुंठा जमीन में उन्होंने गद्दे के पैड बनाए और उस पर गोमूत्र डाला.धमनकर ने यह भी कहा कि एक पौधे में कम से कम एक किलो स्ट्रॉबेरी आती है.उन्होंने मावल के किसानों से न केवल धान और गन्ने पर निर्भर रहने बल्कि विभिन्न प्रयोगों से आय प्राप्त करने की भी अपील की हैं.
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