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ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी एमेजॉन (Amazon) अपनी कुछ पॉलिसीज की वजह से विवादों में घिरती नजर आ रही है
ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी एमेजॉन (Amazon) अपनी कुछ पॉलिसीज की वजह से विवादों में घिरती नजर आ रही है. कंपनी की तरफ से अवैध रूप से अपने दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने का मामला सामने आया है. अमेरिका के नेशनल लेबर बोर्ड ने पाया है कि इन दोनों कर्मचारियों ने महामारी के दौरान काफी बेहतर परफॉर्म किया था.
दरअसल ऑनलाइन रिटेलर ने पिछले साल एमिली कनिंघम और मरीन कोस्टा को नौकरी से निकाल दिया था, जिन्होंने कंपनी पर भेदभावपूर्ण तरीके से पॉलिसीज को लागू करने और अनक्लीयर नियम रखने का आरोप लगाया था. रॉयटर के मुताबिक उनके अक्टूबर में दायर किए गए आरोप के अनुसार, कंपनी ने अपने कर्मचारियों को "चिल एंड रेस्ट" अधिकारों का प्रयोग करने से रोक दिया था.
बोर्ड ने सोमवार को कहा कि अगर कर्मचारी इस मामले को नहीं सुलझाते हैं तो सिएटल में उसके रीजनल डायरेक्टर इस पर एक शिकायत जारी करेंगे.
कर्मचारियों से कोरोना के दौरान लिया गया ज्यादा काम
कनिंघम और कोस्टा ने लगभग एक साल पहले एमेजॉन के महामारी सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कंपनी ने अपने कर्मचारियों की सेफ्टी का जरा भी खयाल नहीं किया, इतना ही नहीं उनसे ज्यादा काम भी लिया गया.
एमेजॉन ने दिया पॉलिसी का हवाला
एमेजॉन ने कहा कि वो काम की परिस्थितियों की आलोचना करते हैं लेकिन इस वजह कर्मचारियों को नहीं निकला गया है. कंपनी ने कहा, "हमने इन कर्मचारियों को काम की परिस्थितियों, सुरक्षा या स्थिरता के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करने के लिए नहीं, बल्कि इंटरनल पॉलिसीज का बार-बार उल्लंघन करने के चलते नौकरी से निकाला है." हालांकि कंपनी ने अब तक ये नहीं बताया है कि वो कौनसी इंटरनल पॉलिसी हैं जिनकी वजह से कनिंघम और कोस्टा को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.
इस पर कनिंघम और कोस्टा ने तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की. UFCW संघ के इंटरनेशनल हेड मार्क पेरोन की लोकल यूनिट ने इस मामले चार्ज फाइल करने में मदद की थी. मार्क पेरोन ने एक बयान में कहा, "ये एक रिमाइन्डर है कि एमेजॉन अपने कर्मचारियों को चुप कराने के लिए खुद ही कानून तोड़ देगा."
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