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कृषि वैज्ञानिकों ने कहा- अभी फसलों-सब्जियों में सिंचाई न करें किसान

Rani Sahu
6 Feb 2022 3:00 PM GMT
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा- अभी फसलों-सब्जियों में सिंचाई न करें किसान
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह (Farmers advisory) दी है

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह (Farmers advisory) दी है कि पिछले सप्ताह की बारिश और अगले पांच दिनों के दौरान कई क्षेत्रों में तेज हवा की संभावना को ध्यान में रखते हुए काम करें. किसान अगले कुछ दिनों तक सिंचाई न करें क्योंकि सभी फसलों में पर्याप्त नमी उपलब्ध है. मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल (Wheat Crop) में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें. काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें. पीला रतुआ (Yellow Rust) के लिये 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है. जबकि 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से उपर होने पर इस रोग का फैलाव नहीं होता.

वैज्ञानिकों ने बताया कि भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी युक्त जलवायु आवश्यक है. काला रतुआ के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान और नमी रहित जलवायु आवश्यक है. इसलिए किसान फसल में इस रोग की निगरानी करते रहें. चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करें.
भिंडी की बुवाई करने वाले रखें ध्यान
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि इस सप्ताह तापमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई हेतु खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें. बीज की मात्रा 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ हो. रबी फसलों एवं सब्जियों (Vegetables) में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है. क्योंकि यह परागकण में सहायता करती हैं. इसलिए जितना संभव हो मधुमक्खियों के पालन (Bee Farming) को बढ़ावा दें तथा दवाईयों का छिड़काव सर्दी के मौसम में सुबह या शाम के समय ही करें.
प्रमाणिक स्रोत से करें बीजों की व्यवस्था
तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर (Tomato) एवं बैंगन आदि की बुवाई पौधाशाला में कर सकते हैं. तैयार टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौधों की रोपाई कर सकते हैं. बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणिक स्रोत से करें. ताकि नुकसान न हो. मौसम को ध्यान में रखते हुए ही किसानों को यह भी सलाह है कि आलू में पछेता झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें.
प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान @ 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. किसान एकल कटाई के लिए पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पीईबी, एचएम-1) की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव (Urea Spray) कर सकते हैं.
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