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महंगाई एक बार फिर लोगों को रुला रही है. हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि लोगों को ‘महंगाई डायन खाई जात है’ गाना याद आ रहा है. क्योंकि एक तरफ जहां सब्जियों के दामों में आग लगी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ दालों के दाम भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. महंगाई की मार से आम जनता त्रस्त है और उसका बजट बिगड़ रहा है. अरहर दाल हो, उड़द दाल हो या मूंग दाल, सभी के दाम आसमान पर हैं. बढ़ती महंगाई की मार लोगों को झेलनी पड़ रही है. किसान अपना माल बेचकर पैसे लेकर घर चला जाता है लेकिन अगर कुछ बड़े व्यापारी एक दिन के लिए भी कोई माल अपने गोदाम में रख लेते हैं और उसकी कमी बता देते हैं तो अगले ही दिन दाम बढ़ने लगते हैं। बड़े व्यापारी थोक और खुदरा सभी एक श्रृंखला के तहत जुड़े हुए हैं।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी
अगर दाल की कीमत की बात करें तो पिछले हफ्ते से लेकर 10 दिनों में कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है. भले ही 5 से 10 की बढ़ोतरी हो, लेकिन इस महंगाई की मार आम जनता को झेलनी पड़ रही है. एक रिटेलर ने बातचीत में बताया कि फिलहाल अरहर की दाल 130 से 140 के बीच है. इसी तरह उड़द दाल 140 से 150 के बीच मिल रही है. खुदरा बाजार में मगनी छिलका दाल और मूंग धुली दाल 100 से 120 रुपये तक बिक रही है. बाजार में चना दाल 70 से 80, छोले 130 से 140 रुपये में उपलब्ध है. इसी तरह राजमा दाल बाजार में 130 से 140 रुपये की कीमत पर उपलब्ध है. बाजार में लाल दाल और काली दाल 80 से 100 रुपये तक उपलब्ध है. पिछले एक हफ्ते में इन सभी दालों की कीमतों में 5 से 10 फीसदी तक का इजाफा हुआ है.
आम आदमी की बात कौन सुनेगा?
दाल की कीमत में बढ़ोतरी भले ही ज्यादा न हो लेकिन इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता दिख रहा है. ऐसे में बढ़ी कीमतों का सबसे ज्यादा असर जनता पर पड़ता दिख रहा है. क्योंकि जब वे दुकान पर पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि एक ही दिन में कीमत 5 से 10 रुपये तक बढ़ गई है. थोक विक्रेता इससे सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते हैं. क्योंकि किसान अपनी फलियाँ पूरी तरह बेचकर बाजार से दूर चला जाता है
और बाजार के बाद जब ये दालें बड़े स्टॉकिस्टों तक पहुंचती हैं तो वे कीमत तय करते हैं। स्टॉकिस्ट जब चाहें किसी भी दाल का दाम बढ़ा देते हैं और एक दिन में करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा लेते हैं और सबसे ज्यादा परेशानी जनता को होती है।
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