व्यापार

मुकेश अंबानी को पछाड़कर गौतम अडानी बने एशिया के सबसे बड़े रईस, सिर्फ 5 लाख रुपये की थी पहली कंपनी, ये बात हमेशा कहते हैं!

jantaserishta.com
4 Feb 2022 1:38 PM GMT
मुकेश अंबानी को पछाड़कर गौतम अडानी बने एशिया के सबसे बड़े रईस, सिर्फ 5 लाख रुपये की थी पहली कंपनी, ये बात हमेशा कहते हैं!
x
जानिए कैसे हुआ यह कमाल।

नई दिल्ली: गौतम अडानी (Gautam Adani) अब न सिर्फ भारत के बल्कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति (Asia's Richest Person) बन चुके हैं. Forbes की रियलटाइम बिलियनेयर लिस्ट के अनुसार, आज उनका नेटवर्थ भले ही 90 बिलियन डॉलर का हो चुका है और वह दुनिया के 10वें सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं, उनकी शुरुआत आम लोगों की तरह एकदम छोटे से हुई है.

अडानी ने कारोबार की शुरुआत महज 5 लाख रुपये की कंपनी से की और धीरे-धीरे विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया. अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की इस बेमिसाल सफलता के पीछे उनकी मेहनत, चतुराई, कुशलता, नेटवर्किंग जैसे गुण हैं. कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी न कर पाने वाले गौतम अडानी की की कहानी हीरे के कारोबार से शुरू होती है. वह 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए और हीरे का कारोबार सीखने लगे. बाद में वह 1981 में गुजरात लौट गए और अपने भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे.
कारोबार जगत में उन्होंने पहला बड़ा कदम 1988 में रखा, जब उनकी पहली कंपनी अडानी एक्सपोर्ट्स की शुरुआत हुई. महज 5 लाख रुपये की पूंजी से शुरू हुई यही कंपनी बाद में अडानी एंटरप्राइजेज बनी. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को 1994 में शेयर बाजार में उतरने से बूस्ट मिला. जब 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में आर्थिक उदारीकरण का रास्ता तैयार किया, तो इससे देश के कारोबार जगत में व्यापक बदलाव आया. इसके बाद कई नए कारोबारी घरानों को आगे बढ़ने का मौका मिला. इस बदलाव से न सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा हुआ, बल्कि अडानी परिवार को भी मल्टीनेशनल और डायवर्सिफाइड बिजनेस खड़ा करने में मदद मिली.
गौतम अडानी के बारे में पिछले कुछ साल से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि वे जल्दी ही मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ देंगे. आज ये सारे अनुमान सच हो चुके हैं. कारोबार जगत के जानकार अडानी की तुलना मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी के साथ करते हैं. धीरूभाई अंबानी की तरह गौतम अडानी भी पहली पीढ़ी के बिजनेसमैन हैं. उन्हें मुकेश अंबानी की तरह विरासत में विशाल कारोबारी साम्राज्य नहीं मिला, बल्कि उन्होंने धीरूभाई की तरह अपनी मेहनत और प्रतिभा से यह मुकाम हासिल किया.
भले ही लोगों का एक धड़ा गौतम अडानी की आलोचना करता हो, लेकिन सच ये है कि भारत से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक उनकी शख्सियत के मुरीद लोगों की संख्या काफी अधिक है. खुद अडानी कह चुके हैं कि उन्हें किसी खास राजनीतिक दल से लगाव नहीं है. सभी पार्टियों में उनके दोस्त हैं और वे सिर्फ उन्हीं नेताओं के साथ काम करना पसंद करते हैं, जिनके पास अगली पीढ़ी का विजन होता है.
अडानी हमेशा ही विजन को पसंद करने वाले बिजनेस लीडर माने जाते रहे हैं. दुनिया भले ही उनकी दौलत के बढ़ने या कम करने पर नजरें बनाई रखती हो, वह खुद इसपर बहुत ध्यान नहीं देते हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जब पैसा आए तो बहुत खुश या पैसा जाने पर दुखी नहीं होना चाहिए.
साल 1995 गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला. गुजरात सरकार ने कच्छ में मुंद्रा पोर्ट एवं एसईजेड का संचालन किसी निजी कंपनी को देने का फैसला किया. गौतम अडानी को इसका नियंत्रण मिला और आज यह निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा पोर्ट बन गया है.

Next Story