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अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था तालिबान के कब्जे के बाद रसातल में जाने की आशंका

Shiddhant Shriwas
21 Aug 2021 4:30 AM GMT
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था तालिबान के कब्जे के बाद रसातल में जाने की आशंका
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वर्षों लंबे संघर्ष, अस्थिरता और भ्रष्टाचार के कारण पहले से ही बेहाल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था तालिबान के कब्जे के बाद रसातल में जाने की आशंका प्रबल है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वर्षों लंबे संघर्ष, अस्थिरता और भ्रष्टाचार के कारण पहले से ही बेहाल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था तालिबान के कब्जे के बाद रसातल में जाने की आशंका प्रबल है। कट्टरपंथी हाथों में नियंत्रण होने से देश में कारोबारों का टिकना और बढ़ना बहुत मुश्किल हो गया है। जानकारों को अंदेशा है कि इस वजह से अधिकतर आबादी गुरबत में और धंस जाएगी।

जीडीपी की हालत

वर्ष 2020 में महामारी के चलते देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो फीसदी गिरावट के बाद फिर से सुधार देखा जा रहा था। इस साल कारोबारी सुधार और माल की आवाजाही बढ़ने से जीडीपी 2.7 फीसदी बढ़ी।

जून में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान के मुताबिक, यह पिछले कुछ वर्षों में औसतन 2.5 फीसदी वृद्धि की दिशा में बढ़ रही थी। लेकिन मौजूदा संकट ने आर्थिक संभावनाओं में उथल-पुथल ला दी है।

खेती प्रमुख जरिया, अफीम का सबसे बड़ा केंद्र

अफगानिस्तान में कृषि कमाई का प्रमुख जरिया है और देश का ज्यादातर निर्यात भी इसी से होता है। देश से पिछले साल 78 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ था, जिसमें 2019 के मुकाबले 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

सूखे मेवों और औषधियों का अधिकांश निर्यात भारत और पाकिस्तान को होता है। लेकिन तेल, खाद्य पदार्थ और मशीनों के आयात से अफगानिस्तान का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। अफीम और हेरोइन कारोबार में अफगानिस्तान का बड़ा नाम है, जिससे काफी गरीब किसानों का घर चलता है। तालिबान भी इन पर कर वसूली और तस्करी करके बड़ी कमाई करता है।

कर्ज कम, पर उतना भी चुका पाना कठिन

कहने को तो अफगानिस्तान पर जीडीपी की तुलना में कर्ज दुनिया में सबसे कम कर्ज है, लेकिन उसे न चुका पाने का जोखिम भी उतना ही ज्यादा है। कोरोना से उबरने में मदद के लिए आईएमएफ ने विस्तारित ऋण सुविधा के तहत 37 करोड़ डॉलर मंजूर किए थे।

साथ ही अंतरराष्ट्रीय मदद के रूप में 12 अरब डॉलर भी मिलने थे। लेकिन आईएमएफ ने कहा कि तालिबान को मान्यता मिलने की अनिश्चितताओं के कारण अफगानिस्तान की उसके संसाधनों तक पहुंच नहीं होगी।

देश का कर्ज 2021 में 1.7 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है, जो जीडीपी का 8.6 फीसदी है। अब तालिबान के सत्ता में आने से अफगान ऋण बाजार और घरेलू बचत को दोहन करने की योजना विफल होने की संभावना है।

मुद्रा गिरी, भोजन महंगा होगा

इस हफ्ते अफगानी (मुद्रा) में छह फीसदी गिरावट आई है। वहीं, अफगानिस्तान का मुद्रा भंडार अमेरिका और आईएमएफ के पास है, जो तालिबान की पहुंच से बाहर है। बीते साल अप्रैल में खाद्य कीमतों में तेज बढ़ोतरी के बाद इसमें कमी आई थी। लेकिन कमजोर उत्पादन और मांग में उछाल से कीमतें फिर आसमान छू सकती हैं। आईएमएफ ने इस साल देश में महंगाई दर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

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