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अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने हाल ही में घोषणा कर बताया कि वह SEPL (स्टार्क एंटरप्राइजेज लिमिटेड) में 100% की इक्विटी प्राप्त करने वाली है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि SEPL एक कंपनी है जो Trainmen नामक ऑनलाइन ट्रेन बुकिंग प्लेटफार्म चलाती है.
अडानी डिजिटल लैब्स ने किया समझौता
अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा घोषणा कर इस अधिग्रहण की जानकारी तो दे दी गई है लेकिन फिलहाल इस डील की कीमत के बारे में कंपनी ने कुछ भी नहीं बताया है. अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा जारी की गई एक स्टॉक एक्सचेंज नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कंपनी की शाखा, अडानी डिजिटल लैब्स (Adani Digital Labs) ने स्टार्क एंटरप्राइजेज में 100% की हिस्सेदारी के प्रावधान के तहत शेयर्स खरीदने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
क्या है SEPL?
SEPL, गुरुग्राम आधारित एक स्टार्टअप है जिसे IRCTC से मान्यता मिली हुई है और इसकी शुरुआत IIT रुड़की से शिक्षा प्राप्त कर चुके विनीत चिरानिया और करन कुमार के द्वारा की गई थी. हाल ही में SEPL ने फंड इकट्ठा करने के दौरान अमेरिकी इन्वेस्टर्स के एक समूह से 1 मिलियन डॉलर्स का फंड इकट्ठा किया था. अमेरिकी इन्वेस्टर्स के इस समूह में Goodwater Capital, Hem Angels और अन्य इन्वेस्टर्स के नाम शामिल हैं.
क्यों महत्त्वपूर्ण है ये अधिग्रहण?
इस साल की शुरुआत में अमेरिका के न्यूयॉर्क आधारित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाफ स्टॉक मैनीपुलेशन और ओवरप्राइसिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए थी जिसके बाद बहुत लंबे समय तक अडानी ग्रुप के शेयर्स में गिरावट जारी थी. अडानी ग्रुप द्वारा इन सभी आरोपों को झूठा बताते हुए इनको सिरे से खारिज कर दिया गया था. कुछ ही समय पहले इस गिरावट में रोक लगी थी जिसके बाद यह अडानी ग्रुप द्वारा किया जाने वाला यह पहला अधिग्रहण है और यही वजह है कि इसे इतना महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है.
असफल हुए थे पिछले अधिग्रहण
इस साल की शुरुआत में अडानी ग्रुप DB Power का अधिग्रहण करने वाला था और इस डील की कीमत 7000 करोड़ रूपए थी लेकिन कई बार डेडलाइन बढ़ाए जाने के बाद आखिरकार अडानी ग्रुप को इस अधिग्रहण को कैंसिल करना पड़ा था. अप्रैल में अडानी ग्रुप द्वारा सुझाए गए एक और अधिग्रहण में देरी हुई थी. यह अधिग्रहण एयरक्राफ्ट की देख-रेख करने और रिपेयर करने वाली कंपनी AirWorks से संबंधित था. इस अधिग्रहण में एक प्रमुख हिस्सेदार ने इकाई में अपने हिस्से को लिक्विडेशन की प्रक्रिया में धकेल दिया था जिसकी वजह से इस अधिग्रहण में देरी हुई थी.
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