नई दिल्ल। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग से निपटने के लिए अडानी समूह ने अपनी स्ट्रेटजी बदल दी है। कंपनी डैमेज कंट्रोल के लिए योजना बना रही है। कंपनी निवेशकों का भरोसा जीतना चाहती है। इसके लिए कंपनी ने तैयारी कर ली है। कंपनी अब कर्ज चुकाने पर फोकस कर रही है। वहीं लागत में कैश बचाने तक फोकस कर रही है। शेयरों में लगातार आ रही गिरावट के बाद अडानी समूह ने अपने रेवेन्यू ग्रोथ के टारगेट को 40 फीसदी तक घटाकर आधा कर दिया है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कंपनी का मार्केट कैप 117 अरब डॉलर कर गिर चुका है। अब कंपनी अपने डैमेज को सुधारने में जुट गई है। कंपनी ने अपने रेवेन्यू ग्रोथ के टारगेट को घटा दिया है। कंपनी नए कैपिटल एक्सपेंडीचर की स्पीड को भी धीमा करने की तैयारी में है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए ग्रोथ के टारगेट को 40 फीसदी से घटाकर 15-20 फीसदी ग्रोथ तय किया है। कंपनी ने केपैक्स प्लान को भी धीमा करने की योजना बनाई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भंवर में फंसे अजानी कर्ज का प्रीपेमेंट कर रहे है।
कैश बचाने से लेकर कैपिटल एक्सपेंडीचर प्लान में कटौती कर रहे हैं। अडानी पोर्ट्स, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी ग्रीन एनर्जी के गिरवी रखे शेयरों को छुड़ाने की तैयारी की जा रही है। इतनी ही नहीं निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी लड़ाई का मन बना लिया है। इसके लिए न्यूयार्क के बड़े लॉ फर्म वॉचटेल से संपर्क किया जा रहा है। वहीं अजानी ग्रुप एक सामान्य ऑडिट के लिए बिग फोर अकाउंटिंग फर्मों में से एक को नियुक्त करने की तैयारी कर रहा है।