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भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां दिसंबर 2021 में नरम पड़कर तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. मासिक सर्वे में बुधवार को कहा गया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां दिसंबर 2021 में नरम पड़कर तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. मासिक सर्वे में बुधवार को कहा गया कि व्यावसायिक गतिविधियों और बिक्री में धीमी गति से वृद्धि और कोरोना वायरस की नयी लहर की आशंका से व्यापारिक धारणाएं प्रभावित हुई हैं. इसके कारण सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में नरमी आई है. मौसमी रूप से समायोजित किया जाने वाला इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स नवंबर में 58.1 पर था, जो दिसंबर में 55.5 के तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है.
सर्वेक्षण के अनुसार लगातार पांचवें महीने सेवा क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि देखी गई. परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) की भाषा में, 50 से ऊपर के अंक का मतलब विस्तार होता है जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है.
आईएचएस मार्किट में सहायक निदेशक-अर्थशास्त्र पोलिएन्ना डि लीमा ने कहा, सेवा प्रदाताओं के लिए 2021 एक और कठिन वर्ष था और दिसंबर में इसमें थोड़ी और नरमी दर्ज की गई. इसके अलावा सेवा और विनिर्माण क्षेत्र का सामूहिक उत्पादन या सामूहिक पीएमआई उत्पादन सूचकांक दिसंबर में घटकर 56.4 हो गया, जो नवंबर में 59.2 था. हालांकि यह इसके दीर्घकालिक औसत 53.9 से अब भी अधिक है.
चार महीने में पहली बार नौकरियों में कमी आई
सर्वेक्षण के दिसंबर के आंकड़ों में माल उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं के रोजगार में बड़ी गिरावट देखी गई. समग्र स्तर पर चार महीने में पहली बार नौकरियों में कमी आई है.
30 दिसंबर के नवीनतम गूगल मोबिलिटी डेटा के अनुसार, दिल्ली में रिटेल और मनोरंजन, सार्वजनिक परिवहन कार्यस्थल की यात्राओं में क्रमशः 19 फीसदी, 7 फीसदी और 17 फीसदी की गिरावट आई है.
ओमिक्रॉन प्रसार से विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में कॉन्टैक्ट सेंसेटिव सर्विसेज सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. पीएमआई के आंकड़ों के अनुसार, इस साल की शुरुआत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग रुका हुआ था, जबकि मई, जून और जुलाई में सेवाएं बंद थी. 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान, विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र में संकुचन तेज था और इसे पटरी पर में लौटने में सात महीने लग गए.
विश्व बैंक और मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रमशः 8.3 फीसदी और 9.3 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है. आईसीआरए ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 22 के लिए अपने 9 फीसदी के ग्रोथ के अनुमान को बरकरार रखा था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2012 में 9.5 फीसदी वार्षिक जीडीपी के अपने अनुमान को बरकरार रखा है. हालांकि इसने अपने दिसंबर-तिमाही के विकास अनुमान को 6.8 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है, और मार्च-तिमाही की फीसदी का अनुमान 6. 6.1 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया.
जुलाई से सितंबर की तिमाही में विकास दर 8.4 फीसदी रही है. जो वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में 20.1 फीसदी रही थी.
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