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NSO की रिपोर्ट : अमीरों के पास औसतन 1.5 करोड़ की संपत्ति, जबकि गरीबों की औकात महज 2000 रुपए

Rani Sahu
15 Sep 2021 6:52 PM GMT
NSO की रिपोर्ट : अमीरों के पास औसतन 1.5 करोड़ की संपत्ति, जबकि गरीबों की औकात महज 2000 रुपए
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देश के शहरों में अमीरों और गरीबों के बीच खाई और गहरी हो रही है. एक सरकारी सर्वे के अनुसार

देश के शहरों में अमीरों और गरीबों के बीच खाई और गहरी हो रही है. एक सरकारी सर्वे के अनुसार, देश के शीर्ष 10 फीसदी शहरी परिवारों के पास औसतन 1.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि निचले वर्ग के परिवारों के पास औसतन सिर्फ केवल 2,000 रुपए की संपत्ति है. सरकार की तरफ से किया गया सर्वे दर्शाता है कि शहरों में गरीबों और अमीरों के बीच की वित्तीय अंतर लगातार बढ़ रहा है.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा किए गए अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण-2019 के अनुसार ग्रामीण इलाकों में स्थिति शहरों की तुलना में थोड़ी बेहतर है. ग्रामीण इलाकों में शीर्ष 10 फीसदी परिवारों के पास औसतन 81.17 लाख रुपए की संपत्ति है. वही निचले वर्ग के पास औसत के तौर पर केवल 41 हजार रुपए की संपत्ति है. सर्वेक्षण में कहा गया कि शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की स्थिति बेहतर है. शहरों में निचले वर्ग के घरों की औसत संपत्ति का आकार सिर्फ 2,000 रुपए है.
जनवरी-दिसंबर 2019 में किया गया था सर्वे
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 77वें दौर के तहत अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वे किया गया है. यह सर्वे जनवरी-दिसंबर, 2019 के बीच किया गया था. इससे पहले यह 70वें के तौर पर 2013, 59वें दौर के तौर पर 2003 और 26वें दौर के रूप में 1971-72 में किया गया था. इस ऋण और निवेश सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य 30 जून, 2018 तक परिवारों की संपत्ति और देनदारियों को लेकर बुनियादी मात्रात्मक जानकारी एकत्र करना था. यह सर्वेक्षण ग्रामीण क्षेत्र के 5,940 गांवों में 69,455 परिवारों और शहरी क्षेत्र के 3,995 ब्लॉकों में 47,006 परिवारों के बीच किया गया.
हर शहरी पर औसतन 1.2 लाख का कर्ज
इससे पहले NSO की एक और रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक, रूरल इंडिया में हर परिवार पर औसत कर्ज करीब 60 हजार रुपए है जबकि शहरी भारत में हर परिवार पर औसत कर्ज करीब 1.2 लाख रुपए है. ग्रामीण भारत में 35 फीसदी परिवारों पर कर्ज का बोझ है, जबकि शहरी भारत में केवल 22 फीसदी ऐसे परिवार हैं जिनपर किसी तरह का कर्ज है.
कृषि आधारित परिवारों पर कर्ज का बोझ ज्यादा
इस रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में जो परिवार कृषि पर आधारित हैं, उनपर औसत कर्ज 74460 रुपए है, जबकि गैर-कृषि आधारित परिवार पर औसत कर्ज 40432 रुपए है. अर्बन इंडिया में सेल्फ एंप्लॉयड पर औसत कर्ज 1.8 लाख रुपए और अदर हाउसहोल्ड पर यह 99353 रुपए है. रूरल इंडिया में कर्ज का 66 फीसदी हिस्सा इंस्टिट्यूशनल क्रेडिट एजेंसी जैसे बैंक, पोस्ट ऑफिस जैसे माध्यमों से है, जबकि 34 फीसदी कर्ज नॉन-इंस्टिट्यूशनल एजेंसियों (पेशेवर सूदखोरों) से है. शहरी भारत में नॉन इंस्टिट्यूशनल एजेंसियों से कर्ज की हिस्सेदारी महज 13 फीसदी है. 87 फीसदी इंस्टिट्यूशनल संस्थानों से लिया गया कर्ज है.
50 फीसदी से अधिक परिवार कर्ज में
NSO की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में 50 फीसदी से अधिक कृषक परिवार कर्ज में थे और उन पर प्रति परिवार औसतन 74,121 रुपए कर्ज था. सर्वे में कहा गया है कि उनके कुल बकाया कर्ज में से केवल 69.6 फीसदी बैंक, सहकरी समितियों और सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिए गए. जबकि 20.5 फीसदी कर्ज पेशेवर सूदखोरों से लिए गए. इसके अनुसार कुल कर्ज में 57.5 फीसदी लोन कृषि उद्देश्य से लिए गए.सर्वे में कहा गया है, ''कर्ज ले रखे कृषि परिवारों का फीसदी 50.2 फीसदी है. वहीं प्रति कृषि परिवार बकाया लोन की औसत राशि 74,121 रुपए है.''


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