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वाराणसी (आईएएनएस)| वाराणसी के लंका इलाके में किशोरी लाल अग्रवाल की नाश्ते कचौरी-सब्जी की एक छोटी सी दुकान है, जो यहां का लोकप्रिय नाश्ता है। यह उनका खानदानी कारोबार है। वह चार पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं। उनकी दुकान पर दशकों से केवल कचौरी-सब्जी बिकती थी और उन्होंने कभी विविधता का प्रयोग नहीं किया। दो महीने पहले उन्होंने मेनू में 'पोहा' तथा ब्रेड पकोड़ा शामिल किया और उन्हें बिल्कुल भी निराश नहीं होना पड़ा।
उन्होंने कहा, अचानक, देश भर से लोग वाराणसी आ रहे हैं। सबकी खाने की अपनी-अपनी पसंद है। हमने अलग-अलग स्वाद पसंद करने वालों के लिए मेनू में नए व्यंजन जोड़े हैं। हम अगले महीने से कुछ दक्षिण भारतीय व्यंजनों को शामिल करने की भी योजना बना रहे हैं।
अग्रवाल ने पड़ोस की दुकान भी खरीद ली है और वह अपने भोजनालय का कायाकल्प करने की योजना बना रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी के बड़े पैमाने पर नवीनीकरण से इस शहर के छोटे विक्रेताओं और व्यापारियों को विशेष रूप से फायदा हुआ है। विक्रेता अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं, अपने उत्पादों में विविधता ला रहे हैं और आतिथ्य उद्योग ऐतिहासिक रूप से फल-फूल रहा है।
दिसंबर 2021 में जब से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जीर्णोद्धार के बाद खोला गया है, तब से पर्यटकों का आना लगातार जारी है।
छह दशक से काशी में रहने वाले दिब्योज्योति बासे ने कहा, वाराणसी अब पर्यटक/तीर्थयात्रियों का पसंदीदा स्थान है। मंदिर के अलावा, अन्य सुविधाओं को जोड़ा गया है और यह लगभग एक नया शहर बन गया है। स्थानीय लोग उत्साहित हैं। चाहे वह नाविक हों, होटल संचालक या साड़ी विक्रेता - वे जानते हैं कि यदि वे अपने व्यवसाय को बढ़ाने में निवेश करते हैं तो मुनाफा उम्मीद से बेहतर होगा। साइकिल रिक्शा चलाने वाले अब ई-रिक्शा चला रहे हैं। यहां तक कि सबसे छोटा भोजनालय भी अपने परिसर को आकर्षक बना रहा है।
काशी के कायाकल्प से नाविक खास तौर पर रोमांचित हैं। नाविक परवीन निशाद ने कहा, पिछले एक साल में हमारा व्यवसाय कई गुना बढ़ गया है। पर्यटकों की संख्या - विशेष रूप से विदेशी आगंतुकों - में वृद्धि हुई है। अधिक सवारी के कारण हम अधिक कमाते हैं। लोग सड़क मार्ग की बजाय विश्वनाथ धाम तक पहुंचने के लिए नाव लेना पसंद करते हैं।
होटल व्यवसाय में भी तेजी देखने को मिल रही है। एक रिसॉर्ट के प्रबंधक राजेश मेहरोत्रा ने कहा, मंदिर के नवीनीकरण से पहले, मेहमान मुख्य रूप से तीर्थयात्री होते थे। उनमें से अधिकांश धर्मशालाओं और कम लागत वाले होटलों और लॉज में रहना पसंद करते थे। लेकिन अब हमारे पास हर तरह के मेहमान हैं। ऐसे भी दिन होते हैं जब लग्जरी होटलों में भी फुल ऑक्युपेंसी हो जाती है। लोग अब वास्तव में छुट्टियां मनाने वाराणसी आ रहे हैं। यह अपने-आप में बदलती स्थिति के बारे में बहुत कुछ बताता है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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