पेटीएम के आईपीओ आने से पहले एक विवाद पैदा.. SEBI से रोक लगाने की अपील! जानें पूरा मामला
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Paytm का IPO आने से पहले ही इस पर ग्रहण लगता दिख रहा है. अचानक कंपनी के एक पूर्व निदेशक खुद को कंपनी का को-फाउंडर बताते हुए सामने आए हैं. उन्होंने नियामक सेबी (SEBI) यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड से कंपनी के आने वाले आईपीओ पर रोक लगाने की मांग की है. ऐसे में पेटीएम (Paytm) के 2.2 अरब डॉलर (1,63,47,25,40,000 रुपये) के आईपीओ (IPO) के सामने एक अजीब अड़चन पैदा हो गई है.
कंपनी के जिस 71 वर्षीय पूर्व डायरेक्टर ने सेबी से इस इश्यू को रोकने को कहा है, उनका नाम अशोक कुमार सक्सेना है. कंपनी में निवेश के बावजूद शेयर नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए अशोक सक्सेना का कहना है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस में भी मामले की शिकायत की है, जबकि कोर्ट में भी केस चल रहा है. मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को है. आइए, जानते हैं ये पूरा मामला क्या है.
27500 डॉलर के निवेश का दावा!
CNBC-Awaaz की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के पूर्व डायरेक्टर अशोक कुमार सक्सेना ने खुद को कंपनी का को फाउंडर बताते हुए दावा किया है कि उन्होंने पेटीएम की पैरेंट कंपनी (One97 Communications) में 27500 डॉलर (20,43,503 रुपये) का निवेश किया था. उनका आरोप है कि एग्रीमेंट के मुताबिक, कंपनी में उन्हें 55 फीसदी हिस्सेदारी मिलनी थी, लेकिन कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने वादा पूरा नहीं किया. उन्हें कभी शेयर नहीं मिला. उन्होंने दिल्ली पुलिस में कंप्लेन की है और कोर्ट में भी मामला चल रहा है.
पेटीएम का क्या कहना है?
पेटीएम ने दिल्ली पुलिस को बताया है कि यह एक तरह का हैरेसमेंट है. पेटीएम का कहना है कि अशोक सक्सेना के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और वह कंपनी को केवल परेशान करना चाह रहे हैं. हालांकि रिपोर्ट्स के अनुसार, जुलाई में सेबी के पास जमा कराए गए आईपीओ दस्तावेज में इस विवाद को क्रिमिनल प्रॉसीडिंग्स बताया गया है.
अपनी दलील पर अड़े हैं सक्सेना
अशोक सक्सेना ने सीएनबीसी से कहा कि नियमानुसार बिना मेरे अप्रूवल के किसी भी थर्ड पार्टी को कंपनी के शेयर नहीं बेचे जा सकते. ये गैरकानूनी हैं. सक्सेना का कहना है कि उनका मकसद पेटीएम को परेशान करना नहीं है. उन्होंने कहा कि पेटीएम बड़ी कंपनी हो चुकी है और उनके जैसा सामान्य आदमी कंपनी को परेशान करने की स्थिति में नहीं है.
उनकी दलील है कि दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में उन्होंने विजय शेखर शर्मा से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. यहां तक कि कंपनी (One97 Communications) के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने मुझे पहचानने से इनकार कर दिया.
विवाद की जड़ लेटर ऑफ इन्टेंट
सक्सेना की दलील है कि कोर्ट में अगर उनका दावा सही साबित होता है तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है. इस मामले में सेबी ने कोई टिप्पणी नहीं की है. इस विवाद की जड़ एक पन्ने का दस्तावेज (Letter of Intent) है जिस पर सक्सेना और पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने 2001 में साइन किए थे. इसके मुताबिक, सक्सेना को पेटीएम की पेरेंट कंपनी One97 Communications में 55 फीसदी हिस्सेदारी मिलनी थी और बाकी स्टेक शर्मा का होता.
डायरेक्टर तो रहे थे सक्सेना, लेकिन…
पेटीएम के गठन के संबंधित दस्तावेजों के मुताबिक सक्सेना 2000 से 2004 के बीच कंपनी के डायरेक्टर थे. पेटीएम ने भी पुलिस को दिए जवाब में माना है कि वह One97 Communications के डायरेक्टर्स में शामिल थे और उन्होंने इसे फंड दिया था. हालांकि पेटीएम ने इस बात का खंडन किया है कि सक्सेना कंपनी के को-फाउंडर थे. पेटीएम का कहना है कि बाद में उनका इंटरेस्ट नहीं रहा. साल 2003-04 में एक घरेलू कंपनी को शेयर ट्रांसफर किए थे क्योंकि कंपनी के साथ सक्सेना की अंडरस्टेंडिंग बन गई थी, वहीं सक्सेना का कहना है कि उन्हें कभी भी कोई शेयर नहीं मिला और न ही कोई अंडरस्टेंडिंग बनी थी.
तो फिर अबतक सामने क्यों नहीं आए?
अचानक आईपीओ लॉन्च होने से पहले 'प्रकट' होने के सवाल पर अशोक सक्सेना की दलील है कि उनके परिवार में मेडिकल इश्यूज थे और उन्हें कुंछ अहम दस्तावेज नहीं मिल रहे थे. उन्हें पिछली गर्मियों में ये दस्तावेज मिले थे. दिसंबर और जनवरी में उन्होंने कंपनी के सीईओ से बात कर मामला हल करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. सक्सेना ने जुलाई में कोर्ट में अपील की कि दिल्ली पुलिस उनकी शिकायत पर केस दर्ज करे. फिलहाल मामल कोर्ट में है और अगली सुनवाई 23 अगस्त को होनी है.