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3.53 रुपये में छपता है 2000 का एक नोट, एक क्लिक में जानें नोटों की छपाई में हर साल कितना होता है खर्च?
jantaserishta.com
31 March 2022 4:11 AM GMT
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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने नोटों की छपाई में आत्मनिर्भर बनने की बात कही है. उन्होंने दो दिन पहले मैसूर में RBI के मालिकाना हक वाली कंपनी वर्णिका (Varnika) का उद्घाटन किया था. ये कंपनी नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाली स्याही बनाएगी. इस कंपनी में हर साल 1500 मीट्रिक टन स्याही बनेगी. इससे नोटों की छपाई में होने वाले खर्च में कमी आने की उम्मीद है. आरबीआई के मुताबिक, हर साल करीब साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये नोटों की छपाई में ही खर्च हो जाता है.
कहां छपते हैं नोट? छापता कौन है?
- भारत में 4 जगहों पर नोटों की छपाई का काम होता है. नोटों की छपाई का काम दो कंपनियों के पास है. इनमें से एक कंपनी केंद्र सरकार और एक आरबीआई के अधीन है. इन कंपनियों की देश में 4 प्रेस हैं, जहां नोट छपते हैं.
- आरबीआई के मुताबिक, जो कंपनी केंद्र के अधीन है उसका नाम सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) और आरबीआई के अधीन वाली कंपनी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL) है.
- भारत में मध्य प्रदेश के देवास, महाराष्ट्र के नासिक, तमिलनाडु के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सबलोनी में नोट छापने की प्रेस है. इन चारों जगहों पर नोट छपते हैं और यहीं से फिर पूरे देश में जाते हैं.
- नोटों की तरह ही सिक्के भी 4 जगहों पर ही बनाए जाते हैं. सिक्के बनाने का काम SPMCIL के पास है. ये सिक्के मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में बनते हैं.
नोटों की छपाई में कितना खर्च आता है?
- नोटों की छपाई में हर साल करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है. आरबीआई अपनी सालाना रिपोर्ट में नोटों की छपाई में होने वाले खर्च का ब्योरा देता है.
- आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में नोटों की छपाई में 4,012 करोड़ रुपये का खर्च आया था. इससे पहले 2019-20 में 4,378 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
- नोटों की छपाई में पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा खर्च 2016-17 में हुआ था. उस साल 7,965 करोड़ रुपये का खर्च आया था. ये वो साल था जब नोटबंदी हुई थी और 500 और 2000 के नए नोट चलन में आए थे.
- अभी देश में 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोट छापे जाते हैं. BRBNMPL की तुलना में SPMCIL को एक नोट छापने में ज्यादा खर्च आता है.
- जुलाई 2019 में राज्यसभा में सरकार ने एक नोट की छपाई में होने वाले खर्च की जानकारी दी थी. तब सरकार ने बताया था कि 2018-19 में 10 रुपये का एक नोट छापने में BRBNMPL को 0.75 रुपये खर्च करने पड़े थे. सबसे ज्यादा खर्च 2000 के नोट छापने में आया था. 2000 का एक नोट 3.53 रुपये में छपा था.
इतना खर्चा क्यों?
- नोटों की छपाई खर्चा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि नोट की छपाई में इस्तेमाल होने वाला कागज और इंक बाहर से खरीदा जाता है. नोट में जो कागज इस्तेमाल होता है, वो कॉटन होता है. इसे कई देशों से खरीदा जाता है. वहीं, जिस इंक का इस्तेमाल किया जाता है, उसे स्विट्जरलैंड की कंपनी SCIPA से खरीदा जाता है.
- इंडिया टुडे की आरटीआई के एक जवाब में सामने आया था कि 2017-18 में सरकार ने नोट छापने के लिए 493 करोड़ रुपये का कागज और 143 करोड़ रुपये की इंक बाहर से खरीदी थी. यानी उस साल नोट छापने के लिए 636 करोड़ रुपये के कागज और इंक बाहर से आए थे. इससे पहले 2016-17 में 366 करोड़ रुपये के कागज और 218 करोड़ रुपये की इंक खरीदी थी.
- भारत में इस्तेमाल होने वाले नोटों में जो कागज और इंक इस्तेमाल होती है, वो बेहद खास होती है. ये कागज हाई सिक्योरिटी वाले होते हैं, जिनकी नकल कर पाना लगभग नामुमकीन है. इसी तरह नोट में इंटैगलियो, फ्लूरोसेंस और ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल होता है. इस इंक का कंपोजिशन हर बार बदला जाता है, ताकि कोई देश इसकी नकल न कर सके.
छपाई से आपके हाथ तक कैसे पहुंचता है रुपया?
- नोट छापने के बाद आम आदमी के हाथ तक आने की एक पूरी प्रक्रिया है. आरबीआई की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, देशभर में 19 ऑफिस हैं जहां छपाई के बाद नोटों को भेजा जाता है.
- ये ऑफिस अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम में हैं.
- नोट को छपाई के बाद प्रेस से सीधे इन्हीं 19 ऑफिसेस में भेजा जाता है. यहां से ये नोट स्टोर में जाते हैं. इन स्टोर को करंसी चेस्ट (Currency Chest) कहा जाता है. ये करंसी चेस्ट बैंकों के होते हैं. यहीं से ये नोट बैंक और फिर आपके हाथ में आते हैं.
- यही प्रक्रिया सिक्कों की भी होती है. ये सिक्के हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली स्थित ऑफिसेस में जाते हैं. यहां से ये सिक्के आरबीआई के दूसरे ऑफिसेस में जाते हैं जो करेंसी चेस्ट और स्मॉल कॉइन डिपो होते हैं. स्मॉल कॉइन डिपो से सिक्के बैंक और फिर आपको मिलते हैं.
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