व्यापार
रियल स्टेट सेक्टर में 90% स्टेक होल्डर चाहते हैं ये बड़ा बदलाव
Apurva Srivastav
6 July 2023 1:05 PM GMT

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हमारे देश में कई ऐसे सेक्टर हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में कार्बन एमीशन को कम करने को लेकर तेजी से काम किया है. अब वो भले ही पेट्रोलियम सेक्टर हो या ऑटोमोबाइल सेक्टर. लेकिन अब ऐसी ही खबर रियल स्टेट से भी सामने आ रही है. केपीएमजी ‘ग्लोबल कंस्ट्रक्शन सर्वे 2023- भारत संस्करण’ के अनुसार, ये रिपोर्ट कहती है कि 60 प्रतिशत कंपनियां ईएसजी (Environmental, social and governance)के फायदों को लेने की कल्पना करती हैं. उनका मानना है कि अब उन्हें भी कार्बन एमीशन में कमी को लेकर नए संसाधनों को इस्तेमाल करना चाहिए. यह रिपोर्ट भारतीय बुनियादी ढांचे/प्रोजेक्ट के मालिकों, इंजीनियरिंग और निर्माण फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले 119 सीनियर लीडरों और सीएक्सओ के सर्वेक्षण पर आधारित थी.
क्या कहते हैं सर्वे के आंकड़े
केपीएमजी द्वारा जारी ‘ग्लोबल कंस्ट्रक्शन सर्वे 2023- भारत संस्करण’ की ये रिपोर्ट कहती है कि 92 प्रतिशत भारतीय परियोजना मालिक संगठनों ने ‘बहुत आशावादी’ या ‘कुछ हद तक आशावादी’ विचार व्यक्त किए. इसका वैश्विक औसत 76 प्रतिशत है. इस सर्वे में भाग लेने वाले 84 प्रतिशत जवाब देने वाले इस सेक्टर को लेकर काफी आशावादी हैं. जबकि बाकी 80 प्रतिशत का मानना है कि रियल स्टेट सेक्टर से समूची इंडस्ट्री पर मध्यम सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत में सकारात्मकता को लेकर ज्यादा इस क्षेत्र से जुड़े लोग प्रभावित हैं. इनमें 92 प्रतिशत प्रोजेक्ट ओनर काफी आशावादी हैं और जबकि कुछ उनसे कम आशावादी हैं.
क्या कहते हैं कंपनी के पार्टनर
मेजर प्रोजेक्ट एडवाइजरी एंड इंडस्ट्री के पार्टनर सुनील वोरा ने कहा, ईएसजी पर उद्योग का ध्यान वास्तविक है और कर्मचारियों और श्रमिकों के कल्याण के लिए इस पर गंभीरता से काम किया जा रहा है. डिजिटल और नवीन तकनीक निवेश पर अच्छा रिटर्न दे रही हैं, और वास्तविक समय में लागत में कटौती कर रही हैं. केपीएमजी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में निर्माण उद्योग में डिजिटल और तकनीकी निवेश पर रिटर्न दिखना शुरू हो गया है.
लागत में देखने को मिल रही है 10 प्रतिशत की कमी
इसमें कहा गया है, ‘डेटा एनालिटिक्स, मॉड्यूलर/ऑफ-साइट मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल तकनीक से प्रदर्शन में सुधार कर रहे हैं.‘ इनमें से एक या अधिक तकनीकों का उपयोग करने वाले 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि परियोजना समय/लागत में कम से कम 10 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है और ओवररन से भी बचे हैं. इस सर्वे में भाग लेने वाले 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगले पांच सालों में इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या 16 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
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