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Economic Survey :देश में बढ़ते वर्कफोर्स को देखते हुए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख Jobs Created रोजगार सृजित करने की जरूरत है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई। समीक्षा में नौकरियों की संख्या का एक व्यापक अनुमान दिया गया है। बढ़ते कार्यबल के लिए इन नौकरियों को देश में सृजित करने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी घटेगी : समीक्षा के अनुसार, कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 प्रतिशत थी। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है।
निजी क्षेत्रों को आगे आना होगा : समीक्षा में कहा गया है कि कामकाजी उम्र में हर कोई नौकरी की तलाश नहीं करेगा। उनमें से कुछ खुद का रोजगार करेंगे और कुछ नियोक्ता भी होंगे। आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा आजीविका पैदा करने के बारे में है। इन योजनाओं के जरिए बनेंगे मौके समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि गैर-कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 78.5 लाख नौकरियों की मांग में पीएलआई योजना (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र कपड़ा योजना (20 लाख रोजगार सृजन) और मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाएं पूरक भूमिका निभा सकती हैं। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारें अनुपालन बोझ को कम करके और भूमि पर कानूनों में सुधार करके रोजगार सृजन में तेजी ला सकती हैं।
ये रहेंगी चुनौतियां
-वैश्विक अर्थव्यवस्था में मुश्किल के चलते सप्लाई चेन पर असर
-इससे पूंजी प्रवाह पर असर संभव, निजी क्षेत्र हो सकता है प्रभावित
-वित्त वर्ष 2024 में आईटी क्षेत्र में रोजगार सृजन धीमा, आगे भी बड़े उछाल की उम्मीद नहीं
-निजी क्षेत्रों में भी भर्तियां धीमी, वेतन में उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ा
-एआई (कृत्रिम मेधा) के कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है
सर्वेक्षण की प्रमुख बातें
1.लड़कियों के नामांकन दर में बढ़ोत्तरी
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पिछले आठ वर्षों के दौरान नामांकन इक्विटी के साथ कुल नामांकन में तेजी देखी है। लड़कियों की नामांकन दर में वर्ष 2015 की तुलना में करीब 31% वृद्धि का दावा किया गया है। उच्च शिक्षा पर सर्वेक्षण 2021-22 का हवाला देते हुए बताया गया है कि कुल नामांकन वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 4.33 करोड़ हो गया, जबकि यह वर्ष 2021 में 4.14 करोड़ के करीब था।
2. रेल और राजमार्ग निर्माण ने रफ्तार पकड़ी
गत वर्षो में पूंजीगत व्यय में लगभग तीन गुणा वृद्धि से भारत के बुनियादी ढांचे ने रफ्तार पकड़ी है। Most rail सर्वाधिक रेल व राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में तेजी आई है। 2014 की अपेक्षा 2024 में देश में हर रोज 34 किलोमीटर प्रतिदिन राजमार्ग बनाए जा रहे हैं, वहीं इस वर्ष रेलवे सर्वाधिक कोच-वैगन का उत्पादन किया है। वर्तमान में रेलवे प्रतिदिन 12 किलोमीटर से अधिक नई रेल लाइनें बिछा रही है।
3. खराब आदतों के लिए निजी क्षेत्र जिम्मेदार
सोशल मीडिया, SCREEN TIME स्क्रीन टाइम (मोबाइल फोन और कंप्यूटर चलाने का समय) और अस्वास्थ्यकर भोजन जैसी खराब आदतों में निजी क्षेत्र का योगदान काफी बड़ा है। ये आदतें सार्वजनिक स्वास्थ्य, उत्पादकता को कमजोर कर सकती हैं और भारत की आर्थिक क्षमता को नीचे ला सकती हैं। भोजन उपभोग की उभरती आदतें न केवल अस्वास्थ्यकर हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी असह्य हैं।
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Jyoti Nirmalkar
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