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इस कार्य शाला का आयोजन किया गया
भारत सरकार के संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र, टेलीमैटिक्स के विकास केंद्र (सी-डॉट) ने गुरुवार को "भारतीय दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास की क्षमता का एक साथ लाभ के लिए आगे का रास्ता" विषय पर केंद्रित एक कार्यशाला का आयोजन किया. सी-डॉट के दिल्ली परिसर में उत्पादन से सम्बद्ध योजना (पीएलआई) और डिजिटल संचार नवाचार स्क्वायर (डीसीआईएस) योजनाओं के पुरस्कार विजेताओं के साथ इस कार्य शाला का आयोजन किया गया.
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग में सचिव और अध्यक्ष के. राजारमन ने भारत सरकार के दूरसंचार विभाग में विशेष सचिव अनीता प्रवीण की उपस्थिति में तकनीकी कार्यशाला का उद्घाटन किया.
बाजार की मांग पूरी करने के समाधान पर हुई चर्चा
कार्यशाला का उद्देश्य उद्योग, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा जगत, स्टार्टअप और एमएसएमई सहित विभिन्न हितधारकों को एक साझा मंच पर लाना था ताकि स्वदेशी विनिर्माण ईकोसिस्टम की ताकत और कमजोरियों पर विचार-विमर्श किया जा सके और प्रभावी तकनीकों को तेजी से तैयार किया जा सके. कार्यशाला का ध्यान मुख्य रूप से भारतीय विनिर्माण और स्टार्टअप ईकोसिस्टम द्वारा दूरसंचार के विविध क्षेत्रों में सी-डॉट की अनुसंधान एवं विकास की विशेषज्ञता का लाभ उठाने पर केंद्रित था. इस आयोजन के माध्यम से न केवल घरेलू मांग को पूरा करने के बारे में, बल्कि अन्य देशों को निर्यात करने के लिए बाजार की मांग पूरी करने के समाधानों के स्वदेशी विकास में तेजी लाने के बारे में भी विचार विमर्श किया गया.
कार्यशाला के प्रतिभागियों को वैश्विक स्तर पर स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित प्रौद्योगिकियों के प्रसार में सहयोग करने के लिए दूरसंचार विभाग की अत्याधुनिक पहलों के साथ-साथ सी-डॉट के अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई.
'आत्मनिर्भर भारत' और 'गति शक्ति' को साकार करने के हो रहे प्रयास
इस कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग में सचिव और डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष, के राजारमन ने घरेलू प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता की विशाल क्षमता का लाभ लेने के लिए संबंधित हितधारकों के बीच तालमेल करने की आवश्यकता पर बल दिया. राजारामन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'गति शक्ति' की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में यह एक प्रयास है. उन्होंने भारत को एक बड़ा विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में सरकार की प्राथमिकताओं पर भी प्रकाश डाला.
राजारामन ने कहा कि वर्ष 2014-15 से घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के अभूतपूर्व विकास में यह दिखाई देता है. उन्होंने कहा कि 5G तकनीक हमें एक महान अवसर प्रदान कर रही है और 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल की शुरुआत में प्रारंभ होने वाली है. उन्होंने सी-डॉट को भारतीय कंपनियों, स्टार्ट-अप्स और शिक्षाविदों के सहयोग से 5G और 6G के शीघ्र कार्यान्वयन करने की दिशा में सक्रिय नेतृत्व करने का आह्वान किया.
सी-डॉट उत्पाद प्रदर्शनी का हुआ अवलोकन
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग में विशेष सचिव, अनीता प्रवीण ने दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास और उत्पादन में तेजी लाने के लिए उद्योग जगत और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन से सम्बद्ध योजना-पीएलआई और डिजिटल संचार नवाचार स्क्वायर-डीसीआईएस जैसी दूर संचार विभाग की पहल पर बल दिया. उन्होंने देश में 5G के कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी के लिए दूरसंचार क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के साथ सहयोग पर भी बल जोर दिया. उन्होंने सी-डॉट उत्पाद प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और सी-डॉट को स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास के व्यावसायीकरण के लिए स्थानीय उद्योग जगत और स्टार्ट-अप के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी.
सी-डॉट के कार्यकारी निदेशक, डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि सी-डॉट लागत-प्रतिस्पर्धी स्वदेशी प्रणालियों को विकसित करने के लिए दूरसंचार के विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित अकादमिक और उद्योग जगत के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक है और उन्हें इस संबंध में पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया है. उन्होंने सहयोगी अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित सी-डॉट के साथ सम्बद्ध होने के विभिन्न स्वरूपों पर भी विस्तार से जानकारी प्रदान की.
प्रौद्योगिकी आयात पर निर्भरता कम करने पर जोर
प्रियराज इलेक्ट्रॉनिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजाराम घोष, कोरल टेलीकॉम के प्रबंध निदेशक राजेश तुली और लेखा वायरलेस के निदेशक, टी.एस. रामू ने भी समग्र स्वदेशी समाधान विकसित करने और प्रौद्योगिकी आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सी-डॉट के साथ उत्पादक गठबंधन बनाने के लिए आपसी संबद्धता के अवसरों की पहचान करने पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने सी-डॉट के अनुसंधान और विकास के प्रयासों में विश्वास व्यक्त किया और कहा कि अनुसंधान और विकास के साथ प्रभावी सहयोग बाजार की गति सुनिश्चित करेगा.
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के प्रतिनिधियों ने स्वदेशी नवाचारों के व्यावसायीकरण के लिए स्टार्ट-अप्स और पात्र कंपनियों को समर्थन और वित्त पोषण देने के लिए सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में बातचीत की.
समयबद्ध तरीके से बाजार संचालित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए कार्यशाला के हिस्से के रूप में सी-डॉट, डीओटी और भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों तथा स्टार्ट-अप्स के बीच कई द्विपक्षीय बैठकें आयोजित की गईं.
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Gulabi
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