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53% हिस्सेदारी बिक्री की थी पेशकश, जानें क्या है वजह, BPCL का विनिवेश सरकार ने फिलहाल टाला

Admin4
26 May 2022 2:45 PM GMT
53% हिस्सेदारी बिक्री की थी पेशकश, जानें क्या है वजह, BPCL का विनिवेश सरकार ने फिलहाल टाला
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। BPCL Disinvestment News: सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (BPCL) में अपनी समूची 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश गुरुवार को वापस ले ली. सरकार का कहना है कि ज्यादातर बोलीदाताओं ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा स्थिति के चलते निजीकरण में भाग लेने को लेकर असमर्थता जताई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी. इसके लिए मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किए गए थे. नवंबर, 2020 तक कम-से-कम तीन बोलियां आईं.

दो कंपनियां इस वजह से बाहर हो गईं
खबर के मुताबिक, हालांकि, दो बोलीदाता ईंधन कीमत निर्धारण को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने जैसे कारणों से बोली से बाहर हो गए. इससे बोली में सिर्फ एक ही कंपनी रह गई निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक स्थिति से दुनियाभर के उद्योग खासकर तेल और गैस क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.
ज्यादातर पात्र इच्छुक पक्षों ने जताई असमर्थता

दीपम (DIPAM) ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के चलते, ज्यादातर पात्र इच्छुक पक्षों (क्यूआईपी) ने बीपीसीएल के विनिवेश (BPCL Disinvestment) की मौजूदा प्रक्रिया में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है. विभाग ने कहा कि इसको देखते हुए विनिवेश पर मंत्रियों के समूह ने बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश के लिए रुचि पत्र प्रक्रिया बंद करने का फैसला किया है. विभाग ने कहा कि बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश (BPCL Disinvestment News) प्रक्रिया शुरू करने का फैसला अब स्थिति की समीक्षा के आधार पर उपयुक्त समय पर किया जाएगा.
इन कंपनियों ने दिखाई थी रुचि
उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता समूह और अमेरिकी उद्यम कोष अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्क्वायर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल (BPCL) में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. लेकिन पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन में घटती रुचि के बीच दोनों इकाइयां वैश्विक निवेशकों (BPCL Disinvestment) को जोड़ पाने में असमर्थ रहीं और बोली से हट गईं. सरकार ने वित्तीय बोलियां आमंत्रित नहीं की थीं.


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