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ट्रेन लेट के मामले में रेलवे पर 30 हजार जुर्माना, SC ने कहा- रेलवे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता

Renuka Sahu
10 Sep 2021 3:56 AM GMT
ट्रेन लेट के मामले में रेलवे पर 30 हजार जुर्माना, SC ने कहा- रेलवे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता
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फाइल फोटो 

रेलवे को अपनी लेटलतीफी के लिए यात्री को 30 हजार रुपये चुकाने होंगे.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रेलवे को अपनी लेटलतीफी के लिए यात्री को 30 हजार रुपये चुकाने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आज से पांच साल पहले 2016 के एक मामले में बड़ा ही दिलचस्प फैसला सुनाया है, जो रेलवे के लिए एक सबक भी है.

जानिए पूरा मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा, इस पर जाने से पहले ये जानते हैं कि आखिर ये पूरा किस्सा है क्या. यह मामला संजय शुक्ला नामक के एक व्यक्ति से जुड़ा है. जो अपने परिवार को लेकर 11 जून 2016 को अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे. ट्रेन को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर जम्मू पहुंचना था लेकिन यह 12 बजे पहुंची. यानी पूरे चार घंटे लेट. इससे संजय शुक्ला के परिवार की फ्लाइट मिस हो गई. उन्हें दोपहर 12 बजे की फ्लाइट से जम्मू से श्रीनगर जाना था. मजबूरी में उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ एक टैक्स किराए पर ली और जम्मू से श्रीनगर पहुंचे. इसके लिए उन्हें 15,000 रुपये देने पड़े. साथ ही उन्हें रहने की व्यवस्था के लिए भी 10,000 रुपये खर्च करने पड़े. संजय शुक्ला मामला लेकर अलवर जिले के कंज्यूमर फोरम पहुंचे. फोरम ने उत्तर पश्चिम रेलवे को शुक्ला को 30 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुना दिया.
SC ने फोरम के फैसले को सही ठहराया
रेलवे इसे नेशनल फोरम में भी लेकर गया, लेकिन वहां भी रेलवे को राहत नहीं मिली. फिर रेलवे इसे सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने भी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल फोरम्स के फैसले को सही मानते हुए रेलवे को आदेश दिया कि वो यात्री को जुर्माने की भरपाई करे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में पीठ के सामने ASG ऐश्वर्या भाटी ने रेलवे नियमों की दुहाई देते हुए दलील दी कि ये तो नियम है कि देरी की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं है, लेकिन पीठ ने उनकी दलील को सही नहीं ठहराया और रेलवे को जुर्माना भरने का आदेश सुना दिया.
सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे ट्रेनों के लेट होने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. अगर ट्रेनो के लेट होने से किसी यात्री को नुकसान होता है तो रेलवे को मुआवजे का भुगतान करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन को निजी क्षेत्र के साथ कंपीट करना है तो उसे अपने सिस्टम और कार्यशैली में सुधार लाना होगा
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है लताड़
इससे पहले प्रयागराज एक्सप्रेस के 5 घंटे लेट होने की वजह से दो यात्रियों की फ्लाइट छूट गई थी, उन्हें दिल्ली से कोच्चि के लिए फ्लाइट पकड़नी थी. इन यात्रियों ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और फोरम ने रेलवे पर जुर्माना लगाया था. रेलवे इस मामले को भी सुप्रीम कोर्ट तक लेकर गई. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी पीड़ित यात्रियों के पक्ष में फैसला देकर रेलवे की लताड़ लगाई थी. कोर्ट ने रेलवे को इन यात्रियों को 40,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था.


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