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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) खाली छोड़ी जा चुकी खदानों को इको-पार्क में बदल रहा है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय के मुताबिक ऐसे तीस इको-पार्क विकसित किए गए हैं। कोयला खान क्षेत्रों में जल क्रीड़ा केन्द्र, तैरते रेस्तरां, हरियाली, खूबसूरत जलाशय बनाए गए हैं। यह क्षेत्र इको-टूरिज्म के स्थलों के रूप में लोकप्रिय हो गए हैं। ये इको-पार्क और पर्यटन स्थल स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का स्रोत भी साबित हो रहे हैं। अब सीआईएल के खनन क्षेत्रों में और अधिक संख्या में इको पार्क एवं इको-पुनस्र्थापना स्थलों के निर्माण की योजनाएं चल रही हैं।
कोयला खदान पर्यटन को और बढ़ावा देने वाले कुछ लोकप्रिय स्थलों में गुंजनपार्क, ईसीएल गोकुल इको-कल्चरल पार्क, बीसीसीएल केनपारा इको-टूरिज्म साइट एवं अनन्या वाटिका, एसईसीएल कृष्णाशिला इको रेस्टोरेशन साइट एवं मुदवानी इको-पार्क, एनसीएल अनंत मेडिसिनल पार्क, एमसीएल बाल गंगाधर तिलक इको पार्क, डब्ल्यूसीएल और चंद्रशेखर आजाद इको पार्क, सीसीएल शामिल हैं।
सूरजपुर में एसईसीएल द्वारा विकसित केनापारा ईको-टूरिज्म साइट पर एक आगंतुक ने कहा, कोई भी यह सोच नहीं सकता था कि एक परित्यक्त खनित भूमि को एक आकर्षक पर्यटन स्थल में रूपांतरित भी किया जा सकता है। हम नौका विहार, आस-पास की हरियाली के साथ खूबसूरत जलाशय और एक तैरते रेस्तरां में दोपहर के भोजन का आनंद ले रहे हैं। आगंतुक ने कहा, केनपारा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और यह जनजातीय लोगों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी है।
एसईसीएल द्वारा केनपारा में बिश्रामपुर ओसी खदान के परित्यक्त खदान संख्या 6 में विकसित जल क्रीड़ा केन्द्र और तैरता रेस्तरां है।
कोयला मंत्रालय का कहना है कि इसी तरह, मध्य प्रदेश के सिंगरौली के जयंत इलाके में एनसीएल द्वारा हाल ही में विकसित किए गए मुदवानी इको-पार्क में लैंडस्केप वाटर फ्रंट और रास्ते हैं। एक आगंतुक ने कहा, सिंगरौली जैसे दूरदराज के एक स्थान में, जहां देखने लायक बहुत कुछ नहीं है, मुदवानी इको-पार्क अपने सुंदर परि²श्य और मनोरंजन की अन्य सुविधाओं के कारण आगंतुकों की संख्या में वृद्धि का साक्षी बन रहा है।
उपरोक्त के अलावा, 2022-23 के दौरान, सीआईएल ने पहले ही अपने हरित आवरण को 1610 हेक्टेयर तक विस्तारित करके 1510 हेक्टेयर के अपने वार्षिक वृक्षारोपण लक्ष्य को पार कर लिया है। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में 30 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं। वित्त वर्ष 22 तक अपने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में, खनन पट्टा क्षेत्र के अंदर 4392 हेक्टेयर हरियाली ने 2.2 एलटी, वर्ष की कार्बन सिंक क्षमता पैदा की है।
सीआईएल अपनी विभिन्न खदानों में सीड बॉल प्लांटेशन, ड्रोन के माध्यम से सीड कास्टिंग और मियावाकी प्लांटेशन जैसी नई तकनीकों का भी उपयोग कर रही है। खनन किए गए क्षेत्र, क्षमता से अधिक बोझ वाले कचरे के स्थान आदि के सक्रिय खनन क्षेत्रों से अलग होते ही उनका तत्काल रूप से जीर्णोद्धार किया जाता है। केन्द्र और राज्य सहायता प्राप्त विशेषज्ञ एजेंसियों के परामर्श से जैविक सुधार के लिए विभिन्न प्रजातियों का चयन किया जाता है। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से भूमि के जीर्णोद्धार और फिर से उपयोग लायक बनाने के कार्यों की निगरानी की जा रही है और अब तक लगभग 33 प्रतिशत क्षेत्र हरित आवरण के अंतर्गत आ चुका है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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