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न्यूज़क्रेडिट: आजतक
भले ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी (Global Recession) और महंगाई (Inflation) की मार से परेशान हों, भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तमाम चुनौतियों के बाद भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है. बुधवार को जारी पहली तिमाही के जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों (June Quarter GDP Data) से तो इसी बात का साफ संकेत मिलता है. ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून 2022 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 13.5 फीसदी की शानदार दर से वृद्धि की. तमाम अनुमान भी भारत से इसी तरह के आंकड़े की उम्मीद कर रहे थे.
मंदी की चपेट में बड़ी अर्थव्यवस्थाएं
भारत की अर्थव्यवस्था ने ये शानदार आंकड़े ऐसे समय दिया है, जब दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं पस्त हो चुकी हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की बात करें तो वह औपचारिक रूप से मंदी की चपेट में आ चुका है. जून तिमाही के दौरान अमेरिकी जीडीपी में 0.6 फीसदी की गिरावट आई. इससे पहले मार्च तिमाही में अमेरिकी इकोनॉमी का साइज 1.6 फीसदी कम हो गया था. अगर कोई इकोनॉमी लगातार दो तिमाही में गिरावट का शिकार होती है, तो कहा जाता है कि वह अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी मंदी में गिरने की कगार पर है. जनवरी तिमाही में ब्रिटिश इकोनॉमी में 0.8 फीसदी की गिरावट आई थी. सभी मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स से जून तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं.
जुलाई में सुस्त पड़ा कोर सेक्टर
इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 (Q4FY22) की चौथी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 4.1 फीसदी की दर से बढ़ा था. पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो 2021-22 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी रही थी. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, जून 2022 तिमाही में भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही. एनएसओ ने साथ ही यह भी बताया कि जुलाई महीने में कोर सेक्टर का आउटपुट सुस्त पड़ा है. साल भर पहले कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट 9.9 फीसदी रही थी, जो जुलाई 2022 में कम होकर 4.5 फीसदी पर आ गई.
4 महीने में इतना हुआ फिस्कल डेफिसिट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस फाइनेंशियल ईयर के पहले चार महीनों के दौरान यानी अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान फिस्कल डेफिसिट 3.41 लाख करोड़ रुपये रहा. यह पूरे साल के अनुमान के 20.5 फीसदी के बराबर है. इन चार महीनों के दौरान सरकार को 7.86 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि कुल खर्च बढ़कर 11.27 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. पहले चार महीने की प्राप्तियां पूरे साल के अनुमान के 34.4 फीसदी के बराबर है. इसमें रेवेन्यू के मोर्चे पर सरकार को 7.56 लाख करोड़ रुपये मिले. टैक्स रेवेन्यू ने 6.66 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया.
एक साल में सबसे तेज रही रफ्तार
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) ने शाम 05:30 पर इस फाइनेंशियल ईयर (FY23) की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े को जारी किया. आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले एक साल की सबसे तेज दर से तरक्की की. इससे पहले जून 2021 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 20.1 फीसदी की दर से वृद्धि करने का रिकॉर्ड बनाया था. भारतीय अर्थव्यवस्था को पिछले साल के कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली है. इसके अलावा काबू में आती महंगाई ने भी राहत दी है. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर अभी भी कुछ चुनौतियां हैं, जिनका असर आने वाली तिमाहियों के आंकड़ों पर देखने को मिल सकता है.
अगले महीने होगी उच्च स्तरीय समीक्षा
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर मंडरा रहे मंदी के खतरे व अन्य आर्थिक चुनौतियों की जल्दी ही उच्च स्तरीय समीक्षा करने वाली हैं. फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल (Financial Stability and Development Council) की 26वीं बैठक 15 सितंबर को मुंबई में होने वाली है. उस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) समेत फाइनेंशियल सेक्टर के सभी नियामकों के प्रमुख शामिल होंगे. बैठक में चुनौतियों के असर को कम करने के उपायों के बारे में चर्चा होगी.
ऐसा था जीडीपी को लेकर पूर्वानुमान
इससे पहले रिजर्व बैंक (RBI) समेत कई इकोनॉमिस्ट जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के शानदार आंकड़े का पूर्वानुमान जाहिर कर चुके थे. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के एक अनुमान की मानें तो 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है. इस तरह भारत इस साल भी सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने कहा था कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी 16.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है. इसी तरह रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने 13 फीसदी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 15.7 फीसदी की ग्रोथ रेट का अनुमान जाहिर किया था.
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