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महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में यूरिया की किल्लत (Urea shortage) होने की खबर है. जबकि यह धान की फसल (Paddy Crop) का सीजन है, जिसमें खाद का काफी इस्तेमाल होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में यूरिया की किल्लत (Urea shortage) होने की खबर है. जबकि यह धान की फसल (Paddy Crop) का सीजन है, जिसमें खाद का काफी इस्तेमाल होता है. यहां गढ़चिरोली जिले के कोरची तहसील और चंद्रपुर जिले के नागभीड तहसील के किसानों (Farmers) को पिछले कई दिनों से खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इन क्षेत्रों में ज्यादातर धान की खेती की जाती है. बुवाई के बाद धान की फसलें खेत में खड़ी हैं जिन्हें अब खाद की बहुत जरूरत है. लेकिन जरूरत के समय ही इस क्षेत्र में खाद की कमी सामने आ गई है. जिससे किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि, टीवी-9 डिजिटल से बातचीत में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं है. यूरिया का स्टॉक है. किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. फिर भी अगर आपके पास ऐसी कोई जानकारी है तो इसकी जांच की जाएगी.
परेशान किसान ने क्या कहा?
उधर, गोंदिया क्षेत्र के किसान कमलेश सोनावानी ने बताया कि खेती में यूरिया की जरूरत है, लेकिन कृषि केंद्र में यह नहीं मिल रहा है. इसकी वजह से छोटे किसान खासे परेशान हैं. धान की फसल खाद के अभाव में खराब हो रही है. मेरा आग्रह है कि यूरिया की कमी को जल्द से जल्द दूर करके किसानों की फसल को बचाया जाए. विदर्भ में यह समस्या कई क्षेत्रों में देखने को मिली है.
दुकानदारों द्वारा की जा रही है कालाबाजारी
किसानों ने बताया कि खाद की कमी की जानकारी मिलने पर कई दुकानदारों ने स्टॉक रोक लिया है. वे खाद नहीं दे रहे. जो उन्हें ऊंचा दाम दे रहा है उन्हें खाद मिल रही है. आमतौर पर जो यूरिया का एक बैग 266 रुपयों में मिलता है उसे कालाबाजारी (Black Marketing) कर 500 रुपये में बेचा जा रहा है. किसान उचित दाम के यूरिया के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
किसानों ने लगाई प्रशासन से गुहार
इन क्षेत्रों में हर साल किसान यूरिया की कमी की समस्या का सामना करते हैं. पिछले साल भी यूरिया खाद (Urea Fertilizer) समय पर न मिलने के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था. इस साल भी वही स्थिति सामने है. हर साल गढ़चिरोली और चंद्रपुर जिलों में जरूरत के हिसाब से काफी कम यूरिया की उपलब्धता हो पाती है. जिस कारण किसान खाद जैसी मूलभूत चीज के लिए भटकते हैं. सरकार ऐसा इंतजाम करके कि सीजन में इसकी कमी से फसलों को नुकसान न हो.
खेती की लागत में हो जाती है वृद्धि
विदर्भ क्षेत्र में आने वाले गोंदिया जिले में किसान मोर्चा के नेता संजय टेमरे ने बताया कि हर साल यूरिया के लिए ही किसान परेशान होते हैं. जिस वक्त किसानों को यूरिया की जरूरत पड़ती है उस समय किसी भी दुकान में स्टॉक नहीं होता. किसानों को ब्लैक में खरीद कर उपयोग करना पड़ता है. ऐसे में उनकी खेती की लागत में वृद्धि हो जाती है. इस साल भी यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. जब किसान अपने क्षेत्र के कृषि केंद्र पर जाते हैं तो वहां उन्हें बोल दिया जाता है कि हमारे पास यूरिया नहीं है.
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