सुप्रीम कोर्ट एक साल तक अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रखने से हैरान
पटना: टना उच्च न्यायालय द्वारा धन शोधन मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर करीब एक साल तक फैसला सुरक्षित रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है. शीर्ष अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए, पटना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि ह्यवास्तव में हम इस बात से बेहद हैरान हैं कि अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर आदेश को एक साल तक कैसे लंबित रखा जा सकता है. पीठ ने इसके साथ ही, पटना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को मामले के बारे में विस्तार से रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए, अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2024 तय की है. आरोपी रजंती देवी उर्फ रजंती कुमारी की ओर से पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर यह आदेश दिया है. पेश मामले के अनुसार पटना उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर 7 अप्रैल 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था और करीब एक साल बाद 4 अप्रैल, 2023 को मामले को अन्य पीठ के समक्ष भेज दिया. दूसरे पीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद 17 जुलाई, 2023 को आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश से स्कूल, कालेज-विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है. वे अपमानित महसूस कर रहे हैं.
शिक्षक संगठनों के सामने शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैये के खिलाफ आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि जिन्हें शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है, वे किसी भी विभाग में एक साल से अधिक नहीं टिके. उन्होंने शिक्षा मंत्री का ऐसा अपमान किया कि वे 26 दिन तक कार्यालय नहीं गए. विभाग के अफसरों का मन इतना बढ़ गया है कि अब वे विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन फूटा के महासचिव और कॉलेज शिक्षक-सह- विधान परिषद सदस्य संजय कुमार सिंह के बयान देने पर उनका वेतन रोकने का आदेश जारी कर रहे हैं. शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है, ताकि वे खुद ही नौकरी छोड़ दें. विभाग अपनी सीमा का अतिक्रमण कर विश्वविद्यालय शिक्षकों से स्कूल टीचर की तरह काम लेना चाहता है.