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स्वामी विवेकानन्द ने धर्म संसद में क्या कहा था?

Sonam
4 July 2023 3:52 AM GMT
स्वामी विवेकानन्द ने धर्म संसद में क्या कहा था?
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आज करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और आदर्श स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि है। अपने छोटे से उम्र में ही स्वामी विवेकानंद सन्यासी बन गए थे और उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया। पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से स्वामी विवेकानंद ने ही अवगत कराया था। यहां तक की हिंदू धर्म के प्रचार का भी एक बड़ा श्रेय इन्हीं को जाता है।

शिकागो का वो ऐतिहासिक भाषण

जब भी स्वामी विवेकानंद की बात होती है, तो उनका साल 1893 में अमेरिका के शिकागो दिए गए भाषण को जरूर याद किया जाता है। दरअसल, उस दौरान स्वामी विवेकानंद के भाषण के बाद पूरा हॉल तालियों की आवाज से गूंज उठा था और आज भी उसे याद करते हुए भारतीयों को गर्व महसूस होता है। इस खबर में हम आपको स्वामी विवेकानंद के उस भाषण के कुछ महत्वपूर्ण अंश के बारे में बताएंगे।

नरेंद्रनाथ था स्वामी विवेकानंद का असली नाम

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ आर माता का नाम भुवनेश्वरी थी। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें लोग नरेन के नाम से भी बुलाते थे। राजस्थान के खेतड़ा के महाराजा अजीत सिंह ने उन्हें 'विवेकानंद' नाम दिया था।

पूरे भारत की पैदल यात्रा पर निकले

स्वामी विवेकानंद ने 25 साल की आयु में गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था और पैदल ही पूरे भारत की यात्रा पर निकल गए। इसके बाद 31 मई, 1893 को विवेकानंद मुम्बई से विदेश यात्रा पर निकले और सबसे पहले जापान पहुंचे। जापान में स्वामी विवेकानंद ने नागासाकी, ओसाका और योकोहामा समेत कई कई जगह का दौरा किया।

जापान के बाद चीन और फिर शिकागो पहुंचे थे स्वामी विवेकानंद

जापान के बाद स्वामी विवेकानंद चीन और कनाडा से होते हुए अमेरिका के शिकागो पहुंच गए। यहां उन्होंने 'मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों' के साथ अपना भाषण शुरू किया। इतना बोलते ही पूरा हॉल तालियों की आवाज से गूंज उठा और कई मिनटों तक वहां पर तालियां बजती रह गई थी।

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