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तुलसी एक बेहतरीन स्वास्थ्यवर्धक जुड़ी-बूटी है. इसके पत्तों समेत फूल, बीज यानी इसके लगभग हर भाग का दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है. भारत सहित कई देशों में यह पौधा काफ़ी पूजनीय भी है. अपने औषधीय गुणों के कारण तुलसी आयुर्वेद में एक अलग मुक़ाम रखती है. इसे सर्दी-जुक़ाम से छुटकारा पाने, इम्यूनिटी बढ़ाने और ख़ून के जमाव सहित सेहत से जुड़ी कई परेशानियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इससे दवा और अर्क भी तैयार किया जाता है. तुलसी की पत्तियां विटामिन और मिनरल्स का भंडार होती हैं. इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, ज़िंक, आयरन और क्लोरोफ़िल पाया जाता है. तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक और मैलिक एसिड भी मौजूद होता है.भारत में ज़्यादातर घरों में तुलसी उगाई जाती है, लेकिन ज़्यादातर लोग तुलसी के इस्तेमाल के सही तरीक़ों के बारे में नहीं जानते हैं. रोज़ाना सुबह ख़ाली पेट तुलसी के तीन-चार पत्तों का सेवन अनगिनत फ़ायदे पहुंचा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पत्तों को चबाकर खाने व असमय खाने से कई तरह की परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं!
तुलसी के पत्तों से दांत ख़राब होते हैं
तुलसी के पत्तों में पारा और आयरन होता, जिन्हें दांतों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. जब आप तुलसी के पत्तों को चबाकर खाते हैं तो पारा मुंह में घुल जाता है. तुलसी के पत्तों में आर्सेनिक भी पाया जाता है, जिससे दांतों को नुक़सान पहुंचता है. तुलसी की पत्तियां प्राकृतिक रूप से थोड़ी अम्लीय होती हैं, जिससे दांत दर्द की शिकायत भी हो सकती हैभारत में ज़्यादातर घरों में तुलसी उगाई जाती है, लेकिन ज़्यादातर लोग तुलसी के इस्तेमाल के सही तरीक़ों के बारे में नहीं जानते हैं. रोज़ाना सुबह ख़ाली पेट तुलसी के तीन-चार पत्तों का सेवन अनगिनत फ़ायदे पहुंचा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पत्तों को चबाकर खाने व असमय खाने से कई तरह की परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं!
तुलसी के पत्तों से दांत ख़राब होते हैं
तुलसी के पत्तों में पारा और आयरन होता, जिन्हें दांतों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. जब आप तुलसी के पत्तों को चबाकर खाते हैं तो पारा मुंह में घुल जाता है. तुलसी के पत्तों में आर्सेनिक भी पाया जाता है, जिससे दांतों को नुक़सान पहुंचता है. तुलसी की पत्तियां प्राकृतिक रूप से थोड़ी अम्लीय होती हैं, जिससे दांत दर्द की शिकायत भी हो सकती हैफ़र्टिलिटी होती है प्रभावित
तुलसी की तासीर गर्म होती है और इसके अधिक मात्रा में सेवन से फ़र्टिलिटी पर प्रभाव पड़ता है. कुछ शोध की मानें तो तुलसी महिला और पुरुष, दोनों की फ़र्टिलिटी पर बुरा प्रभाव डालती है. इससे स्पर्म काउंट में कमी आती है और फ़र्टिलाइज़्ड एग के गर्भाशय में रुकने की संभावना भी कम हो जाती है. अगर आप इनफ़र्टिलिटी का ट्रीटमेंट ले रहें तो तुलसी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी सलाह ज़रूर लें.
गर्भवती महिलाएं ना करें तुलसी का सेवन
तुलसी में यूजेनॉल नाम का तत्व पाया जाता है, जिसके कारण गर्भाशय में सिकुड़न आ सकती है और पीरियड्स भी शुरू हो सकते हैं. ख़ासकर शुरुआती महीनों में गर्भवती महिला को तुलसी के सेवन से परहेज करना चाहिए, इससे मिसकैरेज का ख़तरा बढ़ता है.
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Kajal Dubey
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