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नए वर्ष का आगमन एक नई शुरुआत का एहसास कराता है। यह एक ऐसा समय होता है जब हम बीते हुए वर्ष के अनुभवों के आधार पर अपनी अच्छाइयों को तराशने और बुराइयों को कम करने का प्रण लेकर आने वाले वर्ष के लिए अच्छी बुनियाद डाल सकते हैं। नए वर्ष पर किया गया संकल्प …
नए वर्ष का आगमन एक नई शुरुआत का एहसास कराता है। यह एक ऐसा समय होता है जब हम बीते हुए वर्ष के अनुभवों के आधार पर अपनी अच्छाइयों को तराशने और बुराइयों को कम करने का प्रण लेकर आने वाले वर्ष के लिए अच्छी बुनियाद डाल सकते हैं। नए वर्ष पर किया गया संकल्प पूरे वर्ष एक लक्ष्य को लेकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। ये संकल्प हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग या व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार हो सकते हैं, लेकिन एक ऐसा संकल्प जो सभी के लिए सबसे पहला और सबसे ज्यादा आवश्यक है, वो है अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता एवं स्वयं को फिट रखने के लिए कुछ समय निकालने का संकल्प। वर्ष 2024 की शुरुआत के साथ प्रत्येक हिमाचल प्रदेश के निवासी को ये संकल्प लेना बहुत ही आवश्यक हो चुका है। वर्ष 2023 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा करवाए गए एक सर्वे में ये पाया गया है कि हिमाचल प्रदेश में डायबिटीज (मधुमेह) और प्री डायबिटीज की प्रचलन दर क्रमश: 13.5 प्रतिशत और 18.7 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 11.4 और 15.3 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश में ये आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े से ज्यादा होना एक गंभीर चिंता का विषय है। इतना ही नहीं, मोटापे की समस्या में भी हिमाचल प्रदेश के हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। सर्वे में ये पाया गया है कि हिमाचल में मोटापे की वजह से होने वाली बीमारियों में तेजी से वृद्धि होती जा रही है।
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और ये माना जाता है कि पहाड़ी लोग मैदानी क्षेत्रों के लोगों की अपेक्षा अधिक मजबूत और स्वस्थ होते हैं। लेकिन इस मजबूती पर मधुमेह और मोटापा जनित रोगों ने आक्रमण करके इसको कमजोरी की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है। यहां के शुद्ध वातावरण का आनंद लेकर स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए देश-विदेश से पर्यटक बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष हिमाचल प्रदेश आते हैं। फिर ऐसा कौनसा कारण है कि हिमाचल के शुद्ध वातावरण में मेहमान तो ठीक होकर जा रहे हैं, लेकिन मेजबानों को मधुमेह और मोटापे की समस्या ने घेर रखा है। इसके पीछे का मुख्य कारण हमारी बदलती हुई जीवन शैली और खाने-पीने की गलत आदतें हैं। शारीरिक क्रियाओं की कमी इसमें सबसे बड़ा कारण है और इस वजह से बच्चे भी इस प्रकार की बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। बात चाहे बच्चों की हो या युवाओं की या फिर बुजुर्गों की, सभी आयु वर्गों में लगातार बढ़ रही मोबाइल की आदत इस समस्या को अधिक विकराल बनाने में अपना अहम योगदान दे रही है। बच्चों को मोबाइल से कुछ समय के लिए भी दूर करना आजकल बहुत से माता-पिताओं के लिए एक बहुत मुश्किल कार्य बन बन चुका है। आजकल तो खेल के मैदानों में भी बच्चे और युवा मोबाइल चलाते हुए ही देखे जाते हैं। ये स्थिति गंभीर है और इसके कारण पैदा होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए एक योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है। एक पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति न केवल अपने उत्तरदायित्वों का पूर्ण रूप से निर्वहन करने में सक्षम होता है, बल्कि देश, प्रदेश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी सफलतापूर्वक करता है।
जबकि बीमारियों से घिरा हुआ व्यक्ति दूसरों के ऊपर बोझ बन कर जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो जाता है। इसलिए अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर नए वर्ष में फिटनेस के प्रति खुद को समर्पित करके एक नई शुरुआत करने की जरूरत है। नए वर्ष की शुरुआत के साथ अपने और अपने बच्चों की कुछ आदतों को बदलने के लिए प्रण लेने की जरूरत है। जीवन शैली में थोड़ा-सा परिवर्तन करके एक बड़े बदलाव की नींव डाली जा सकती है। कुदरत के साथ खुद को ढालने की कोशिश की जानी चाहिए और सुबह जल्दी उठकर योग और सैर करने की आदत को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम अपने शरीर को बीमारियों से दूर रख सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा शारीरिक क्रियाएं हमें अच्छी तरह से स्वस्थ रखने में सबसे ज्यादा योगदान देती हैं। इसलिए नए वर्ष पर एक ऐसा कैलेंडर तैयार करने की भी जरूरत है जो हमारी प्रतिदिन की शारीरिक क्रियाओं से हमें अवगत करवाता हो। शारीरिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप निकलने वाला पसीना इस बात का प्रमाण होता है कि हमारी शारीरिक क्रिया से हमारे शरीर को भी कुछ लाभ पहुंचे हैं। एक दिन में 35 मिनट की तेज सैर एक आसान और प्रभावशाली शारीरिक क्रिया है।
इसके अलावा दौड़, तैराकी और साइकिलिंग भी हमारे शरीर की शारीरिक क्रियाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी असरदार सिद्ध हो सकती हैं। एक जज्बे के साथ हम अपने मुताबिक किसी भी शारीरिक क्रिया का चयन करके और उस चयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाकर स्वयं को और अपने परिवार को काफी हद तक मधुमेह और मोटापा जनित रोगों से दूर रख सकते हैं। इसके अलावा हम अपने खाने की आदतों में सुधार करके भी अपने जीवन को और अधिक ऊर्जावान और उपयोगी बना सकते हैं। खाना आज एक विज्ञान बन चुका है, लेकिन इस विज्ञान से हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी अनभिज्ञ है। खाने के प्रति जागरूकता और एक संतुलित भोजन हमारे शरीर को सही मात्रा में ऊर्जा देने के साथ-साथ स्वस्थ भी रखता है। नए वर्ष की शुरुआत के साथ शारीरिक क्रियाओं के प्रति प्रतिबद्धता और संतुलित आहार के प्रति सजगता आने वाले खतरे से बचाने के लिए औजार के रूप में कार्य कर सकते हंै।
राकेश शर्मा
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
