सम्पादकीय

चौंकाऊ एग्जिट पोल

Gulabi Jagat
2 Dec 2023 5:56 AM GMT
चौंकाऊ एग्जिट पोल
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By: divyahimachal:

पांच राज्यों-मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम-में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है। अब 3 दिसंबर को जनादेश सार्वजनिक किए जाएंगे, लेकिन मतदान के बाद एग्जिट पोल के अनुमान चौंका देने वाले हैं। हालांकि विभिन्न अनुमानों में विरोधाभास हैं। निष्कर्ष भी विभाजित हैं, लेकिन एक चुनावी रुझान स्पष्ट हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधनों का असर कहीं 20 फीसदी के करीब है, तो किसी राज्य में 5 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। प्रधानमंत्री के चेहरे और संबोधन से भाजपा को अब भी वोट मिल रहे हैं, यह निश्चित लगता है। एग्जिट पोल की परंपरा भारत में नहीं थी। यह चुनावी मूल्यांकन की पश्चिमी पद्धति है, लेकिन वहां काफी सटीक साबित होती रही है। हमारे देश में भी कुछ चुनावी अनुमान 65 फीसदी से 95 फीसदी तक सही रहे हैं, लिहाजा एग्जिट पोल को नकारा नहीं जा सकता। बहरहाल सबसे चौंकाऊ अनुमान तेलंगाना के हैं, जहां बीते 10 साल से सत्तारूढ़ रहे चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी बीआरएस की विदाई का वक्त आ गया लगता है। एग्जिट पोल में वे पिछड़ते लग रहे हैं और कांग्रेस की बहुमत वाली सरकार बनने की संभावनाएं सर्वाधिक हैं। यदि ऐसा होता है, तो कांग्रेस के पुनरोत्थान का अध्याय शुरू हो सकता है। तेलंगाना का ‘सहोदर राज्य’ आंध्रप्रदेश है, जहां आज भी कांग्रेस का काडर शेष है। पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कांग्रेस सत्तारूढ़ है और तमिलनाडु में सरकार का एक घटक है। केरल में प्रमुख विपक्षी दल है, जिसके लोकसभा सांसद सर्वाधिक हैं। यदि कांग्रेस नेतृत्व ने गंभीर प्रयास किए, तो पार्टी दक्षिण भारत से ‘चुनावी ताकत’ बनकर उभर सकती है। यह भाजपा के लिए प्रत्यक्ष चुनौती है।

बहरहाल दूसरा चौंका देने वाला अनुमान राजस्थान के संदर्भ में सामने आया है। हालांकि एग्जिट पोल के आंकड़े विभाजित और विभिन्न हैं, लेकिन अनुमान ऐसे हैं कि उस राज्य में कांग्रेस ‘सत्ता का रिवाज’ बदलती लग रही है। कांग्रेस की गारंटियां कारगर और सार्थक होती लग रही हैं। कुछ पोल भाजपा के बहुमत के प्रति आश्वस्त लग रहे हैं, लेकिन कुल मिला कर कांग्रेस और भाजपा के बीच बेहद कड़ी टक्कर लगती है, लेकिन ज्यादा फायदा कांग्रेस के पक्ष में झुक रहा है। यदि कांग्रेस को ही जनादेश मिलता है, तो बीते 30 सालों का रिवाज बदल जाएगा। राजस्थान में 1993 से हर पांच साल के बाद सत्ता बदलती रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में 15-16 जनसभाओं को संबोधित किया था और राजधानी जयपुर में बड़ा लंबा और जनसमर्थन वाला रोड शो भी किया था, लिहाजा रिवाज बदलता है, तो यह लोकसभा चुनाव के लिए भी सुखद संकेत नहीं है। 2019 के आम चुनाव में राज्य की सभी 25 संसदीय सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीते थे। कमोबेश अब कांग्रेस उस ‘शून्य’ वाली स्थिति से उबरती लगती है। बहरहाल तीसरा आश्चर्य मध्यप्रदेश के संदर्भ में सामने आया है। वहां के अनुमान हैं कि करीब 18 साल की सत्ता के बावजूद भाजपा दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रख सकती है। यह भाजपा की 2003 के बाद 5वीं सरकार होगी। बीच में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 माह के लिए बनी थी। अलबत्ता भाजपा की ही निरंतर सत्ता रही है, राजस्थान और मप्र में मुख्यमंत्री वही राजनेता रहेंगे अथवा चेहरे बदले जाएंगे, एग्जिट पोल में इनका उल्लेख नहीं है। अब तीन दिसंबर की प्रतीक्षा है।

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