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लेख
"संतो का भारत, सनातनियों का भारत, यही है अपना स्वर्णिम भारत…": डॉ शंकर सुवन सिंह
Gulabi Jagat
28 Jan 2025 2:02 PM GMT
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संतो का भारत, सनातनियों का भारत,
यही है अपना स्वर्णिम भारत……
जो सहज है वही संत है,
सनातनियों का स्वर्णिम भारत अनंत है।
ऐसी धरती धन्य है, जहां कुम्भ है महाकुम्भ है,
तभी तो अपना भारत अक्षुण्ण है।
जहां लगता संतों का मेला है,
वहाँ अपार सुखों का खेला है।
भारत की अद्भुत धरती, जिस पर आते महाकाल हैं,
करते हैं कल्याण सभी का, आते बारम्बार हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश करते सत, रज, तम का गान हैं,
तभी तो सृष्टि में उत्पत्ति सञ्चालन और अंत का विधान है।
संतो का भारत, सनातनियों का भारत,
यही है अपना स्वर्णिम भारत।।
भारत की विरासत अक्षुण्ण है। इसको क्षीण नहीं किया जा सकता। भारत की विरासत ही उसके विकास की जननी है। अतएव हम कह सकते हैं कि अक्षुण्ण विरासत, स्वर्णिम भारत का प्रतिबिम्ब है।
डॉ शंकर सुवन सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर
कृषि विश्वविद्यालय
प्रयागराज
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Gulabi Jagat
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