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बेरोजगारी पर आम चुनाव!

18 Dec 2023 11:46 AM GMT
बेरोजगारी पर आम चुनाव!
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By: divyahimachal : संसद में घुसपैठ के संदर्भ में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और महंगाई के मुद्दे उठाए जा रहे हैं। खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि बेरोजगारी ने युवाओं को ऐसा कदम उठाने को विवश किया है कि उन्होंने संसद में ही घुसपैठ की। उन्होंने सवाल किया है कि नौकरियां कहां हैं? भर्तियां …

By: divyahimachal :

संसद में घुसपैठ के संदर्भ में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और महंगाई के मुद्दे उठाए जा रहे हैं। खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि बेरोजगारी ने युवाओं को ऐसा कदम उठाने को विवश किया है कि उन्होंने संसद में ही घुसपैठ की। उन्होंने सवाल किया है कि नौकरियां कहां हैं? भर्तियां क्यों रुकी हुई हैं? कमोबेश सरकार अपना वायदा निभाए और नौजवानों को नौकरियां मुहैया कराए। कांग्रेसी सूत्रों ने खुलासा किया है कि राहुल गांधी अगले माह संभवत: पूर्वोत्तर से एक और यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। यात्रा का बुनियादी फोकस बेरोजगारी पर होगा। महंगाई का भी प्रसंगवश उल्लेख किया जाएगा। कांग्रेस के रणनीतिकारों का विश्लेषण है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बेरोजगारी का मुद्दा महत्त्वपूर्ण साबित होगा और पार्टी को चुनावी फायदा भी मिल सकता है। राहुल गांधी महसूस करते हैं कि बेरोजगारी एक भावनात्मक मुद्दा है, लिहाजा उसके मद्देनजर लोगों से आसानी से जुड़ा जा सकता है। लोगों को लामबंद करके भी एक आंदोलननुमा स्वरूप दिया जा सकता है। लोकसभा में दो युवकों की घुसपैठ के लिए बेरोजगारी को ही बुनियादी कारण नहीं माना जा सकता, यह हमारा दृष्टिकोण है। यह सिर्फ राजनीति का ही मुद्दा नहीं है, बल्कि संसद के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है, लिहाजा बेरोजगारी की समस्या का इतना सामान्यीकरण करना भी उचित नहीं है। दिसंबर, 2023 में बेरोजगारी की राष्ट्रीय दर 8.8 फीसदी आंकी गई है। अक्तूबर में यह दो साल के उच्चतम स्तर 10.09 फीसदी पर थी। उससे पहले यह दर 7 फीसदी के करीब रही है। यह कोई सामान्य दर नहीं है। आंकड़ों का संग्रह और उनके विश्लेषण के जरिए बेरोजगारी का यह निष्कर्ष ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआईई) का है। बेशक सत्ता-पक्ष इस विश्लेषण को खारिज कर सकता है, लेकिन यह स्वायत्त थिंक टैंक 1976 से इसी काम में संलग्न है।

दुनिया के बड़े देश, आर्थिक मंच और औद्योगिक संस्थान भी सीएमआईई के आंकड़ों और निष्कर्षों के आधार पर, भारत के बारे में, अपना नजरिया तय करते हैं। यदि सीएमआईई ने बेरोजगारी की दर 8.8 फीसदी आंकी है और यह स्थापना दी है कि शहरों में गरीब ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं, गांवों में बेरोजगारी दर अधिक है, तो ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं, क्योंकि दूसरी तरफ भारत सरकार की ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ जारी है। विख्यात अर्थशास्त्री एवं भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का भी विश्लेषण गौरतलब है कि यदि भारत की विकास दर 6 फीसदी के आसपास ही बनी रही, तो 2047 में भी भारत ‘निम्न-मध्य वर्ग का देश’ बना रहेगा, बेशक उसकी आबादी के कारण जीडीपी का विस्तार होता रहे। बहरहाल भारत में 25 साल की उम्र तक के 42 फीसदी युवा स्नातक बेरोजगार हैं। 25-29 के आयु-वर्ग में यह बेरोजगारी करीब 23 फीसदी है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, जिसकी 65 फीसदी आबादी की औसत उम्र 35 साल से कम है। ऐसा न हो कि जो आबादी हमारी ताकत मानी जाती है, वही अंतत: आपदा साबित हो! बीते तीन साल में करीब 32,000 लघु, मध्यम, सूक्ष्म उद्यम बंद हुए हैं। उनमें जो काम करते थे, आखिर वे कहां गए हैं? क्या वे सभी बेरोजगार हो गए? नवंबर, 2023 तक प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के संदर्भ में 7 लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति-पत्र दिए जा चुके हैं। उसके बावजूद केंद्र सरकार में करीब 9.64 लाख पद रिक्त हैं। उन्हें क्यों नहीं भरा जा सकता? यह सवाल आज तक अनुत्तरित रहा है। सीएमआईई की रपट के मुताबिक, 20-34 उम्र के 35 करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी की अपेक्षा है। हम मानते हैं कि सरकार सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती, बेशक सरकार किसी भी पार्टी की हो। मोदी सरकार ने करोड़ों मुद्रा लोन दिए हैं। देश में हवाई अड्डे 147 हो गए हैं। करीब 150 मोबाइल बनाने के कारखाने हैं। करीब 37 किलोमीटर सडक़ औसतन हररोज बनाई जाती है। इनमें मिले रोजगारों की गिनती भी होनी चाहिए।

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