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By: divyahimachal
राष्ट्रीय परिधान से कहीं भिन्न हैं हिमाचल में सत्ता के वादों के रंग और यही दस्तूर सरकार के आईने में उजली छवि के दस्तावेज बन जाते हैं। इन्हीं दस्तावेजों की पालकी सजाए पुन: मंत्रिमंडल की बैठक ने रुकी हुई सरकारी नौकरियों की धडक़न तेज कर दी है। पुलिस भर्ती के माध्यम से 1226 कांस्टेबलों को नियमित वेतन की वर्दी पहनाने के अलावा यह भी सुनिश्चित हो रहा है कि आइंदा तीस प्रतिशत ऐसे पद महिलाओं के बीच आबंटित होंगे। नारी चरित्र में कानून के पहरों का सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखते हुए यह फैसला घर-परिवार में बेटियों के अस्तित्व व स्वाभिमान को ऊंचा कर रहा है। यह स्वाभाविक क्षमता है जिसके तहत हिमाचली बेटियां कल तक पुरुष क्षेत्र के लिए समझे गए दायित्व में अपनी श्रेष्ठता की नई कहानी लिख रही हैं। व्हिसल से गूंजती ट्रैफिक व्यवस्था या कानून-व्यवस्था की पगडंडियों से निकल कर उच्च पदों तक पहुंची महिला पुलिस अधिकारी साबित कर चुकी हैं कि वह उन्नीस नहीं, इक्कीस ही हैं। हिमाचल राज्य न केवल बेटियों का अभिभावक बनकर सामने आ रहा है, बल्कि अनाथ बच्चों के लिए भी मार्गदर्शक बना है। यह पहला राज्य है जहां हर अनाथ बच्चा 27 साल की उम्र तक चार हजार रुपए प्रति माह प्राप्त करेगा, जबकि विवाह अनुदान के तौर पर दो लाख रुपए की राशि भी निर्धारित हुई है। जाहिर है कोई बड़े दिलवाला राज्य ही ऐसा संभव कर सकता है और यह फिर साबित हो रहा है कि कल्याणकारी प्रदेश के रूप में हिमाचल का कोई सानी नहीं, क्योंकि हर अनाथ को पूरे साल में 48 हजार रुपए मिलने से कई पालने मजबूत हो जाएंगे। हिमाचल मंत्रिमंडल के कई अन्य फैसले बड़े संकेतों को परिभाषित करने की मंशा प्रकट कर रहे हैं। विद्युत राज्य के रूप में प्रदेश पुन: प्रयासरत है कि हाइड्रो एनर्जी से आर्थिकी की वकालत हो और इसी नजरिए से ऊर्जा नीति को सशक्त व धारदार बनाया जा रहा है।
विद्युत प्रोजेक्टों में राज्य की हिस्सेदारी अब उत्पादन के वर्षों से तय होगी यानी बारह वर्षों तक बीस फीसदी रॉयल्टी, जबकि 18 साल की सीमा में तीस प्रतिशत तथा अगले दस साल चालीस फीसदी रॉयल्टी प्रदेश लेगा। इस तरह चालीस साल तक हर निवेशक को विद्युत उत्पादन के जरिए हिमाचल के खजाने को अलग-अलग दर में सींचना होगा। इस तरह यह बहस फिर से जीवित हो रही है कि प्रदेश में पंजाब पुनर्गठन के बावजूद पानी और बिजली के समझौते क्यों अन्याय के दंश लिए यहां छाती पर मूंग दल रहे हैं। अगर नई ऊर्जा नीति के आलोक में हिमाचल के अधिकार सफल हो जाएं तो बीबीएमबी व शानन परियोजना की मिलकीयत के फैसले हिमाचल का आर्थिक संबल बनेंगे। मंत्रिमंडल में हमीरपुर का प्रकाश पुन: स्थापित हो रहा है और इस बार ऐलान यह कि राज्य विद्युत निगम लिमिटेड का एक मुख्य अभियंता यहां से आपरेशन की जिम्मेदारी संभालेगा। यानी प्रदेश के जोनल कार्यालयों की संगत में हमीरपुर के नाम एक और प्रशासनिक उपलब्धि की जा रही है। इसी के साथ कांगड़ा में सपनों का संसार वनखंडी के चिडिय़ाघर में उतरने को तैयार है। कुल 629 करोड़ की लागत से इस चिडिय़ाघर के शृंगार से पर्यटन की आबोहवा पूरी तरह बदल सकती है। यह क्षेत्र पौंग बांध वेटलैंड की आकाशीय दूरी को नजदीक लाता है और इस तरह प्रवासी पक्षियों के कलरव को सुनने के लिए एक नया व विस्तृत पैकेज तैयार हो सकता है।
यह दीगर है कि पौंग के रामसर वेटलैंड की शर्तों के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालय का एक विस्तृत परिसर विकसित हो रहा है, जिसके एक बाजू में प्रवासी पक्षी तो दूसरे में वन्य प्राणियों के संसार को पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता की दृष्टि से सुकून से रहना है। सरकार चालीस नए शहरी स्वास्थ्य वेलनेस केंद्र खोल कर चिकित्सा क्षेत्र की अहमियत को फिर से जिंदा कर रही है, लेकिन इमारतों के पीछे मानवीय स्पर्श की शृंखला भी पैदा हो, इसके लिए पर्याप्त प्रयास की जरूरत है। हिमाचल में औद्योगिक विकास के माध्यम से निवेश प्राथमिकता की तलाश में नीति को बुलंद किया जा रहा है। मंत्रिमंडल एक ओर अपने कल्याणकारी पालने में मानवीय संवेदना को प्रश्रय दे रहा है, दूसरी ओर विकास की महत्त्वाकांक्षा में क्षेत्रीय संभावनाओं को जोत रहा है। सुक्खू सरकार मंत्रिमंडल की हर बैठक में सरकारी रोजगार बांटती हुई नजर आती है और इस बार भी पुलिस, कृषि व होमगाड्र्स भर्ती के आलम में युवा बेचैनियों को राहत दे रही है। एक छोटे से राज्य में जहां आर्थिक संसाधनों की स्थायी कमी तथा बढ़ता कर्ज बोझ हो, वहां मंत्रिमंडल की बैठकों में जनापेक्षाओं का जवाब देना वास्तव में मेहनतकश कसौटी है।