श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कुछ अहम प्रशासनिक इमारतों को खाली करने का फैसला किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा हम जगह बदलेंगे लेकिन प्रदर्शन जारी रहेंगे और लक्ष्यों को हासिल कर लेने तक ये नहीं रुकेंगे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर 9 जुलाई को राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास पर कब्जा जमा लिया था। वे बुधवार को वे प्रधानमंत्री के कार्यालय में भी घुस गए।
अब प्रदर्शनकारियों के एक समूह के प्रवक्ता ने कहा, हम पुरानी संसद (राष्ट्रपति के कार्यालय) और गाले फेस (जहां लंबे समय से प्रदर्शन जारी हैं) के अलावा सभी इमारतों से शांतिपूर्वक हट रहे हैं। हम इन स्थानों पर बने रहेंगे, हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेने तक प्रदर्शन करते रहेंगे। सरकारी इमारतों में राष्ट्रपति आवास, राष्ट्रपति सचिवालय और पीएम कार्यालय शामिल हैं।
गुटेरस ने श्रीलंकाई नेताओं से की शांतिपूर्ण समझौते की अपील
श्रीलंका में अशांति के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के संघर्ष और शिकायतों को दूर करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने ट्विटर पर श्रीलंका के सभी पार्टी नेताओं से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए समझौता करने का आग्रह किया। गुटेरस ने कहा, मैं श्रीलंका में हालात पर करीबी नजर रखा हुआ हूं और संघर्ष के मूल कारणों व प्रदर्शनकारियों की शिकायतों का समाधान करने का आह्वान करता हूं।
शरण नहीं दी बल्कि निजी दौर पर हैं श्रीलंकन राष्ट्रपति गोतबाया : सिंगापुर
श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। इससे पहले वह अपने देश से फरार होकर मालदीव पहुंच गए थे। वहीं इस मसले पर सिंगापुर सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि राजपक्षे यहां निजी यात्रा पर हैं, उन्हें कोई शरण नहीं दी गई है।
सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बात की पुष्टि हो गई है कि राजपक्षे को सिंगापुर में निजी यात्रा के तौर पर प्रवेश की अनुमति मिली है। बयान में कहा गया कि उन्होंने शरण की कोई मांग नहीं की और न ही उन्हें शरण दी गई है। सिंगापुर आमतौर पर शरण के अनुरोध को मंजूरी नहीं देता है। बृहस्पतिवार शाम 7 बजे राजपक्षे सऊदी एयरलाइंस के विमान एसवी-788 से पहुंचे।
सबसे खराब आर्थिक हालात
करीब 2.2 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि श्रीलंका अब दिवालिया हो चुका है।