शी जिनपिंग की सेना ने अमेरिका, भारत, ताइवान से होने वाली जंग के लिए तैयारी तेज कर दी
गैर कमीशन प्राप्त अधिकारी भविष्य की जंग में 'तेज चाकू' की तरह से भूमिका निभाएंगे और अपने दुश्मन का सफाया कर देंगे।
बीजिंग: दुनिया पर राज करने की मंशा रखने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सेना ने अमेरिका, भारत, ताइवान से भविष्य में होने वाली किसी भी जंग के लिए तैयारी तेज कर दी है। चीन जहां 1500 परमाणु बम और हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा तैयार कर रहा है, वहीं सेना पीएलए ने भी खुद को धारदार बनाने के लिए 'तेज चाकू' प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। दरअसल, चीन की सेना ने अब नॉन कमीशन अधिकारियों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है जो लंबे समय तक सेवा में रहेंगे। ये अधिकारी अत्याधुनिक प्रशिक्षण से लैस होंगे। इन अधिकारियों की यूनिट बहुत छोटी होगी और भविष्य के युद्धक्षेत्र में तेज चाकू की तरह से दुश्मन को काटती चली जाएगी।
माना जा रहा है कि चीन ने यूक्रेन की जंग से यह सबक लिया है। चीनी सेना के अखबार पीएलए डेली ने कहा कि क्षेत्रीय युद्धों से सबक हासिल करते हुए चीनी सेना अब इस मिशन पर काम कर रही है। असल में चीन की सेना अपने मिशन 2050 के प्लान पर काम कर रही है। इसके तहत चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का लक्ष्य साल 2050 तक चीन की सेना को 'विश्वस्तरीय' सेना बनाना है। जिनपिंग तीनों ही सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर हैं और वह कई बार कह चुके हैं कि पीएलए जंग के लिए खुद को तैयार करे। यही वजह है कि अब चीनी सेना नॉन कमिशन अधिकारियों पर फोकस कर रही है।
'आधुनिक युद्धकौशल अत्यंत प्रशिक्षित सैनिकों की लड़ाई'
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ये अधिकारी ही भविष्य की जंग में चीनी सेना की रीढ़ होंगे। चीनी सेना छोटी और घातक सैन्य टुकड़ियों को बनाने पर ध्यान केंद्रीत करने जा रही है। इस नियम को मार्च से ही लागू कर दिया गया है जिससे मध्य और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लंबे समय तक सेवा में रहेंगे। इसकी शुरुआत भी स्प्रेटले द्वीप पर तैनात नौसैनिकों के सेवा काल को बढ़ाकर कर दिया गया है। चीन ने दक्षिण चीन सागर पर दबदबा कायम करने के लिए इस द्वीप को सैन्य किला बना दिया है। इन द्वीपों को लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया के कई और देश दावा करते हैं।
चीनी अखबार ने कहा कि हालिया क्षेत्रीय युद्धों से यह सबक मिला है कि गैर कमीशन प्राप्त अधिकारियों की भूमिका आधुनिक युद्धकौशल में बहुत ज्यादा हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन का इशारा यूक्रेन की सेना की ओर था जहां गैर कमीशन प्राप्त ज्यादा थे। यूक्रेनी सैनिकों ने सफलतापूर्वक हमलावर रूसी सैनिकों की बढ़त को रोक दिया। चीनी सेना के अखबार पीएलए डेली ने कहा, 'आधुनिक युद्धकौशल अत्यंत प्रशिक्षित सैनिकों की लड़ाई है।' यह कहा जाता है कि छोटी सैन्य यूनिट ने क्षेत्रीय युद्धों में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में गैर कमीशन प्राप्त अधिकारी भविष्य की जंग में 'तेज चाकू' की तरह से भूमिका निभाएंगे और अपने दुश्मन का सफाया कर देंगे।