वर्ल्ड रेबीज-डे- ब्लाक खुईखेड़ा के विभिन्न सेंटरों में लगाया जागरूकता कैम्प
फाजिल्का: सिविल सर्जन फाज़िलका डॉ. सतीश कुमार गोयल, सहायक सिविल सर्जन डॉ. बबीता के दिशा निर्देशों व सीनियर मेडिकल अफसर डॉक्टर विकास गांधी की अगुआई में सीएचसी खुईखेड़ा के अंतर्गत आते विभिन्न गांवो में वर्ल्ड रेबीज-डे के उपलक्ष में जागरूकता कैम्प लगाए गये। इस मोके एसएमओ डॉ. विकास गांधी, डॉ. चरणपाल, डॉ. अर्शदीप, ब्लाक मास मीडिया इंचार्ज सुशील कुमार, फार्मासिस्ट शाइना, एएनएम रजनी बाला, स्टाफ नर्स गुरमिंदर कौर, मनदीप कौर, दीपिका आशा वर्कर व ग्रामीण उपस्थित थे।
आम आदमी क्लिनिक खियोवाली ढाब में आयोजित कैम्प में एसएमओ डॉ. गांधी ने बताया कि देश में हर साल रेबीज की वजह से करीब 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है। रेबीज एक वायरल डिजीज है, जो कुत्ता, बिल्ली, बंदर समेत कई जानवरों के काटने से फैलती है। इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच बेहद कम जागरूकता है।
यही कारण है कि हर साल 28 सितंबर को लोगों को अवेयर करने के लिए ‘वर्ल्ड रेबीज डे’ मनाया जाता है। आपको रेबीज से जुड़ी जरूरी बातें जान लेनी चाहिए। डा. गांधी ने बताया कि कुत्ता, बिल्ली व बंदर समेत कई जानवरों के काटने से रेबीज का वायरस इंसानों के शरीर में पहुंच जाता है।
कुत्ते की लार में लासा वायरस पाया जाता है। जिससे रेबीज की बीमारी फैलती है। कुत्ते के काटने के 24 घंटों के अंदर एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए।
रेबीज के अधिकतर मामले कुत्ते के काटने से होते हैं। कई लोग सोचते हैं कि पातलू कुत्तों के काटने से खतरा कम होता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। इन सभी जानवरों के काटने से यह जानलेवा बीमारी हो सकती है।
बीईई सुशील कुमार ने बताया कि शरीर की जिस जगह पर कुत्ता या रेबीज के खतरे वाला कोई जानवर काटे, उस जगह को साबुन और पानी से करीब 10 मिनट तक लगातार धोते रहना चाहिए। लासा वायरस साबुन में मौजूद तत्वों की वजह से खत्म हो जाता है।
इसके बाद आप घाव पर एंटी बैक्टीरियल या कोई अन्य घाव ठीक करने वाली क्रीम लगा सकते हैं। हालांकि यह सिर्फ प्रायमरी ट्रीटमेंट है जो तुरंत करना चाहिए।
इसके बाद डॉक्टर से मिलकर एंटी-रेबीज वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। अगर आपको रैबीज से संक्रमित कुत्ते ने काटा है तो तुरंत प्रॉपर ट्रीटमेंट शुरू करवा देना चाहिए।