दिल्ली: हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण का हम सभी के जीवन में बहुत महत्व है, इसीलिए इसको संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए हर मानव को जागरूक होने की ज़रूरत है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां एक ओर मानव समाज तेज़ी से विकसित हो रहा है और आधुनिक बन रहा है, वहीं दूसरी ओर इस आधुनिकता की राह में मानव कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए श्राप साबित हो रही है। यही कारण है कि इस बदलते वक्त में प्राकृतिक आपदाओं का संकट बढ़ता चला जा रहा है। ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि पर्यावरण को संरक्षित किया जाए। इसी दृष्टि से हर साल लोगों को जागरूक करने के लिए और पर्यावरण के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आइये आगे देखते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास: अगर हम विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने की शुरुआत के बारे में बात करें तो इसकी शुरुआत 1972 में हुई थी। पहली बार 5 जून, 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहला पर्यावरण दिवस मनाया था। इसके बाद हर साल विश्व भर में 5 जून को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसको पहली बार मनाया था लेकिन पर्यावरण दिवस को सबसे पहले जिस देश ने मनाया था, उसका नाम स्वीडन है। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में ही सबसे पहले पर्यावरण दिवस को मनाया गया था।
विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य: पर्यावरण का महत्व तो आप सबको पता ही है और ये भी पता है कि प्रदूषण कितनी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी, जिसकी वजह से लोगों को पर्यावरण के संरक्षण को लेकर जागरूक किया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस थीम 2023: हर साल पर्यावरण दिवस की कोई न कोई थीम निर्धारित की जाती है। इस साल की थीम ‘Solutions to Plastic Pollution’ निर्धारित की गई है। इस थीम को इसलिए निर्धारित किया गया है ताकि लोगों का ध्यान प्लास्टिक की ओर ले जाया जा सके और प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान हो सके।