इस्लामी देश मुसलमानों पर अत्याचार करने वाले चीन के सामने भीगी बिल्ली क्यों बने रहते हैं?
कुछ इस्लामी देश और इन देशों के समूह ओआइसी यानी इस्लामी सहयोग संगठन की ओर से भारत पर बेजा दबाव बनाने की जो कोशिश की जा रही है
कुछ इस्लामी देश और इन देशों के समूह ओआइसी यानी इस्लामी सहयोग संगठन की ओर से भारत पर बेजा दबाव बनाने की जो कोशिश की जा रही है, उसका प्रतिकार करने के साथ ही आईना दिखाने की भी जरूरत है। आखिर जब भाजपा ने अपने उन दोनों नेताओं की छुट्टी कर दी, जिन्होंने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ विवादित टिप्पणियां की थीं, तब इसका कोई औचित्य नहीं कि वे इस्लामी देश भारत को नसीहत देने की कोशिश करें, जो अन्य उपासना पद्धतियों का खुले तौर पर मजाक उड़ाने वाले उन्मादी धर्मगुरुओं के साथ आतंकियों को संरक्षण देते हैं।
यह अच्छा हुआ कि भारत ने जैसे पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई, वैसे ही ओआइसी को भी। क्या ओआइसी इससे परिचित नहीं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के साथ उनके धार्मिक स्थलों को किस तरह निशाना बनाया जाता है? क्या ओआइसी पाकिस्तान की इस हकीकत से भी अनजान है कि इस देश में अन्य उपासना पद्धतियों के अनुयायियों के साथ-साथ अहमदियों और शियाओं तक को काफिर कहा जाता है? एक सवाल यह भी है कि इस्लामी देश मुसलमानों के भीषण दमन के साथ इस्लाम का निरादर करने वाले चीन के सामने भीगी बिल्ली क्यों बने रहते हैं?
ओआइसी वही संगठन है, जिसने चंद दिनों पहले आतंकी यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने पर आंसू बहाए थे। यह भी ध्यान रहे कि अफगानिस्तान की सत्ता पर पहली बार काबिज हुए तालिबान ने बामियान में जब भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं को तोपों से उड़ा दिया था, तो इस्लामी देशों के साथ ओआइसी ने किस तरह मौन साध लिया था। यह सही समय है कि ओआइसी को यह भी बताया जाए कि उसके एक अहम सदस्य मलेशिया ने अपने जहरीले भाषणों से आतंकियों की करतूतों को जायज बताने वाले जाकिर नाइक को किस तरह शरण दे रखी है। मलेशिया इसके बावजूद जाकिर नाइक को भारत प्रत्यर्पित करने से इन्कार कर रहा है कि उस पर मनी लांडिंग के साथ युवाओं को आतंकी बनने के लिए उकसाने के गंभीर आरोप हैं।
भारत के साथ बांग्लादेश और ब्रिटेन में न जाने कितने ऐसे युवा पकड़े गए हैं, जिन्होंने यह माना है कि उन्होंने जाकिर नाइक के उन्मादी भाषण सुनकर आतंकी हमलों को अंजाम दिया। यदि ओआइसी को शांति, सद्भाव और सहअस्तित्व की इतनी ही चिंता है तो फिर वह मलेशिया पर इसके लिए कोई दबाव क्यों नहीं डालता कि वह या तो जाकिर नाइक के खिलाफ कार्रवाई करे या फिर उसे भारत के हवाले करे? भारत को कतर से भी पूछना चाहिए कि क्या उसने हिंदू देवी-देवताओं का अभद्र चित्रण करने वाले एमएफ हुसैन को नागरिकता देते समय यह सोचा था कि इससे भारत में लोग आहत होंगे?
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय