Monkeypox के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई WHO की चिंता
दुनियाभर में बढ़ते Monkeypox के मामलों को देखते हुए इसको ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया जाए या नहीं इस मसले पर WHO एक्सपर्ट की एक अहम बैठक हुई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में बढ़ते Monkeypox के मामलों को देखते हुए इसको ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया जाए या नहीं इस मसले पर WHO एक्सपर्ट की एक अहम बैठक हुई है। Monkeypox से हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुतीबिक विश्व के 71 देशों में इसके अबतक करीब 15400 मामले सामने आ चुके हैं। इसके बढ़ते संकेत आने वाले दिनों में इसके Global health emergency घोषित किए जाने की तरफ ही इशारा कर रहे हैं। विश्व स्तर पर Monkeypox के मामलों में मई से तेजी आनी शुरू हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 23 जून को भी इसको लेकर एक्सपर्ट कमेटी की एक बैठक बुलाई थी। इसमें कहा गया था कि यदि इसके मामले बढ़ते हैं तो इसको पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी आफ इंटरनेशनल कंसर्न में शामिल किया जाए। हालांकि, अधिकतर जानकारों यूएन हेल्थ एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडनेहनॉम घेबरेयेसस को सलाह दी थी कि मौजूदा समय में इसको ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करना सही नहीं होगा। उस वक्त मामले बढ़ने की सूरत में इसकी दूसरी बैठक कराने की बात कही गई थी।
यदि उस वक्त एक्सपर्ट इस ओर इशारा करते हुए इसके खतरे को भांप जाते तो तभी इससे बचाव के उपाय और दिशा-निर्देश पूरी दुनिया के लिए जारी कर दिए जाते। लेकिन, मौजूदा हालातों में ये तय नहीं है कि एक्सपर्ट कमेटी इस समस्या को लेकर कब अपने अंतिम नतीजे पर पहुंचेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन में मंकीपॉक्स की तकनीकी टीम के मुखिया रोसमंड लुइस का कहना है कि मंकीपाक्स के 98 फीसद मामले पुरुषों में पाए गए हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में इस बीमारी का कारण पुरुष का पुरुष से ही संबंध बनाना रहा है। उनके मुताबिक शहरी क्षेत्रों और युवाओं में इस तरह के मामले अधिक सामने आ रहे हैं।
WHO के प्रमुख का कहना है कि कुछ देशों में इसके मामले अधिक होने से चिंता लगातार बढ़ रही है। इन देशों में इस पर काबू पाना एक चुनौती की तरह है। इससे न केवल जान का खतरा है बल्कि समाज में बहिष्कृत होने का भी खतरा है। इसके कारणों को देखते हुए इसको ट्रेक करना और रोकना भी एक बड़ी समस्या है। बीते एक सप्ताह में छह नए देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। यूरोपीयन सेंटर फार डिजीज एंड प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के आंकड़े बताते हैं कि यूरोप के 27 देशों में इसके अब तक 7896 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सबसे अधिक स्पेन में 2835, जर्मनी में 1924, फ्रांस में 912, नीदरलैंड में 656 और पुर्तगाल में 515 मामले आए हैं।