पाक को कौन बचाएगा ब्लैक लिस्टेड होने से? अकेला कुछ नहीं कर पाएगा चीन

कश्मीर मसले पर भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाने वाले पाकिस्तान और उसके दोस्त तुर्की के अब बुरे दिन शुरू हो गए हैं।

Update: 2021-10-31 05:15 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कश्मीर मसले पर भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाने वाले पाकिस्तान और उसके दोस्त तुर्की के अब बुरे दिन शुरू हो गए हैं। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहा है और आतंकवाद के खिलाफ कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की है, इसलिए इस बार भी उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा गया है। मगर इस बार इस सूची में आतंक के आका का दोस्त तुर्की भी शामिल हो गया है। यानी अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्की भी है। इसका मतलब है कि इन दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं, पाक पर अब ब्लैक लिस्टेड होने का भी खतरा बढ़ गया है।

संवाददाता सम्मेलन के दौरान एफएटीफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लीयर ने कहा था कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था, न कि केवल एक देश ने यह फैसला सुनाया। निर्णय की घोषणा करते हुए उन्होंने वैश्विक वित्तीय प्रहरी यानी एफएटीफ के निर्णय के संबंध में किसी भी संभावित राजनीतिक साजिश की रिपोर्टों को खारिज कर दिया था।
इस्लाम खबर के अनुसार, इमरान खान की सरकार को फ्रांस की निंदा करने के परिणाम का अंदाजा हो गया था। बता दें कि पाक पीएम इमरान सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का बैन करने के फ्रांस सरकार के फैसले को लेकर हमलावर रहे हैं। फिलहाल, आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहने के लिए इस्लामाबाद के साथ तुर्की को भी एफटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' में रखा गया है। तुर्की अब इस लिस्ट में शामिल दो दर्जन से अधिक देशों के साथ अपने 'भाई' पाकिस्तान को कंपनी देगा।
इस्लाम खबर के मुताबिक, यह कहा गया है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में स्थानांतरित करने का मामला हमेशा से मजबूत रहा है और अब तुर्की के इस लिस्ट में जाने से और भी मजबूत हो गया है। पाकिस्तान को तुर्की से जो अब तक समर्थन मिलता आ रहा था और जिसकी वजह से वह ब्लैक लिस्ट में जाने से बचा रहा, अब तुर्की के ग्रे लिस्ट में खिसकने से वह महत्वपूर्ण समर्थन नहीं मिल पाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की के बाद एफएटीएफ में पाकिस्तान के एकमात्र अन्य दृढ़ समर्थक चीन और मंगोलिया हैं। और जब तक पाकिस्तान तीसरे सदस्य का समर्थन प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता है, तब तक ब्लैक लिस्टिंग से बचना मुश्किल होगा। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि एफएटीएफ के मार्च-अप्रैल वाले सत्र में पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाएगा।
अखबार ने आगे तर्क दिया कि एक एफएटीएफ की काली सूची आर्थिक रूप से तंग और नकदी की कमी वाले पाकिस्तान के लिए सजा का एक अधिक कठोर रूप होगा। इस्लाम खबर ने बताया कि जब पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हो जाएगा तो उस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों सहित बाहरी दुनिया से जो भी वित्तीय सहायता मिल रही है, वह भी रुक जाएगा और इमरान का पाकिस्तान बर्बादी की कगार पर आ जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल गेंद वास्तव में इमरान खान के पाले में है, जिन्होंने पाकिस्तान को 'रियासत-ए-मदीना' - मदीना राज्य की तरह एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य बनाने का संकल्प लिया है।
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ एक इंटरनेशनल निगरानी निकाय है, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखना और कार्रवाई करना है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।
अर्थव्यवस्था पर असर:
पाकिस्तान के एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में बने रहने से उसकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्री मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।


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