बूस्टर डोज़ को लेकर WHO ने जताई चिंता, कहा- दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की होगी किल्लत और बढ़ेगी महामारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज़ के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है.

Update: 2021-12-24 04:28 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज़ (Booster Dose) के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है. WHO ने कहा है कि इससे दुनिया भर में वैक्सीन की किल्लत हो सकती है. साथ ही गरीब देशों पर मार पड़ सकती है. बता दें कि अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इन दिनों वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगाई जा रही है. जबकि दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां लोगों को वैक्सीन की अभी तक एक डोज़ भी नहीं मिली है. ज्यादातर देशों में पहली दो खुराक के बाद वूस्टर डोज़ 6 महीनों के बाद दी जा रही है.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रॉस एडनॉम गेब्येयियस ने कहा, 'कोरोना की बूस्टर डोज़ से महामारी बढ़ने के बजाय बढ़ सकती है. वायरस और ज्यादा तेजी से फैलेगा. वायरस का म्यूटेशन काफी ज्यादा होगा. वैक्सीन उन देशों को भी मिलनी चाहिए जिसे अभी तक नहीं मिली है.' उनका ये बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका में कहा गया है कि सभी 16 साल से ज्यादा उम्र के लोग बूस्टर डोज़ ले सकते हैं. इससे पहले मंगलवार को इजरायल ने ऐलान किया था कि वो 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों वैक्सीन की चौथी डोज़ देगा.
बढ़ सकता है खतरा
टेड्रॉस ने कहा, 'मौजूदा डेटा के मुताबिक कोरोना से ऐसे लोगों की मौत ज्यादा हो रही है जिसने वैक्सीन की एक भी डोज़ नहीं ली है. कोई भी देश बूस्टर डोज़ से कोरोना को ख्तम नहीं कर सकता है.' 22 दिसंबर को जारी कोविड -19 बूस्टर खुराक के बारे में अपने अंतरिम बयान में, डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया कि टीकाकरण का मुख्य लक्ष्य इस बीमारी से मौत की दर को कम करना और लोगों को गंभीर बीमारी से बचाना है. खास कर ओमिक्रॉन के आने के बाद ये और बेहद अहम हो गया है.
वैक्सीन की कमी
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पहुंच और वितरण में बाधाओं ने वैक्सीन की सप्लाई में कमी ला दी है. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि जिन देशों में वैक्सीन की वहां दूसरे देशों को मदद करनी चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय द्वारा किए गए अनुमानों से पता चलता है कि केवल 2022 की दूसरी छमाही तक दुनिया भर में सभी वयस्कों में बूस्टर का व्यापक उपयोग करने के लिए पर्याप्त टीके होंगे. डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि उसके आधे सदस्य देशों ने इस साल के अंत तक अपनी कम से कम 40% आबादी का टीकाकरण किया होगा.
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